झारखंड में स्थानीय लोगों के लिए 75% निजी नौकरी आरक्षित करने के लिए मंजूरी दी गयी
झारखंड कैबिनेट ने स्थानीय लोगों के लिए प्रति माह 30,000 रुपये तक के वेतन के साथ 75 प्रतिशत नौकरियों को आरक्षित करने के लिए रोजगार नीति को मंजूरी दी है। झारखंड से पहले, हरियाणा सरकार ने भी इसी तरह की नीति को मंजूरी दी थी।
मुख्य बिंदु
75% आरक्षण को अनिवार्य करने वाली इस नई नीति की घोषणा 17 मार्च को विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे। मुख्यमंत्री ने यह निर्णय झारखंड औद्योगिक और निवेश प्रोत्साहन नीति, 2021 के मसौदे पर चर्चा करने के लिए दिल्ली का दौरा करने के बाद लिया। 12 मार्च को मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान विभिन्न प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
झारखंड में बेरोजगारी
जनवरी, 2021 के महीने में झारखंड में बेरोजगारी की दर धीरे-धीरे गिरकर 11.3 प्रतिशत हो गई थी। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, कोविड-19 महामारी के मामलों के दौरान बेरोजगारी दर मई 2020 के महीने में बढ़कर 59.2% हो गई थी। जनवरी 2020 के महीने में बेरोजगारी दर 10.6% थी।
चिंताएं
सरकार ने हवाला दिया था कि स्थानीय आरक्षण नीति के लागू होने से बड़ी समस्या लाभार्थियों की पहचान करना है।
अधिवास नीति (Domicile Policy)
झारखंड राज्य ने वर्ष 2016 में रिलैक्स्ड डोमिसाइल पॉलिसी को अधिसूचित किया था। नई नीति में छह तरीकों को सूचीबद्ध किया गया था, जिसे झारखंड के अधिवास के रूप में माना जा सकता है। लेकिन नीति की आलोचना की गई क्योंकि यह आदिवासियों को प्राथमिकता नहीं दे रही थी।
झारखंड में आदिवासी
झारखंड राज्य में 32 जनजातियाँ निवास करती हैं। इन जनजातियों को मूल रूप से उनके सांस्कृतिक प्रकारों के आधार पर वर्गीकृत किया गया था।
- शिकारी-संग्रहकर्ता प्रकार –जिसमें कोरवा, बिरहोर, हिल खारिया शामिल है।
- स्थानांतरण कृषि – सौरिया पहाड़िया।
- सरल कारीगर– लोहरा, महली, करमाली, चिक बारिक।
- कृषक –मुंडा, संथाल, हो, उरांव, भूमिज।
झारखंड की अनुसूचित जनजाति (एसटी) जनसंख्या
राज्य में 2002 की जनगणना के अनुसार 7,087,068 एसटी आबादी है जो कुल आबादी का 26.3 प्रतिशत है। वे मुख्य रूप से ग्रामीण हैं, जिनमें से 91.7 प्रतिशत गांवों में रहते हैं। राज्य में वर्तमान झारखंड में मुंडा, उरांव, संथाल, गोंड, कोल, असुर, बंजारा, चेरो, हो, कोरा, भूमिज आदि जैसे 32 आदिवासी समूह हैं।
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