डीजल को LNG से बदलने के लिए कोयला मंत्रालय ने पायलट परियोजना शुरू की
सरकारी स्वामित्व वाली कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने 1 सितंबर, 2021 को डीजल को LNG से बदलने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है।
मुख्य बिंदु
- CIL के मुताबिक, उसने कोयले के परिवहन में लगे बड़े ट्रकों के डंपरों में LNG किट को लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
- इस कदम से CIL को सालाना करीब 500 करोड़ रुपये की बचत करने में मदद मिलेगी।
- यह पायलट प्रोजेक्ट इसके कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में भी मदद करेगा।
महत्व
यह कदम महत्वपूर्ण है क्योंकि, CIL (दुनिया का सबसे बड़ा कोयला खनिक) प्रति वर्ष 4 लाख किलोलीटर से अधिक डीजल का उपयोग करता है, जिसका वार्षिक खर्च 3,500 करोड़ रुपये है। LNG की वजह से डंपरों का संचालन काफी सस्ता और स्वच्छ होगा। LNG डीजल के उपयोग को 30% से 40% तक रीप्लेस कर देगा और बदले में ईंधन की लागत में 15% की कमी करेगा।
पृष्ठभूमि
CIL ने GAIL (इंडिया) लिमिटेड और BEML Ltd के सहयोग से दो 100 टन डंपरों में LNG किटों की रेट्रोफिटिंग के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। दोनों डंपर CIL की सहायक कंपनी महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (MCL) में काम कर रहे हैं। इस परियोजना के लिए, CIL ने 31 अगस्त, 2021 को GAIL और BEML के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
एक बार LNG किट के रेट्रोफिट और सफलतापूर्वक परीक्षण के बाद, दोनों डंपर दोहरी ईंधन प्रणाली, यानी LNG और डीजल पर चलने में सक्षम होंगे।
कोल इंडिया लिमिटेड (CIL)
CIL कोयला मंत्रालय के स्वामित्व में सरकारी स्वामित्व वाली कोयला खनन और शोधन निगम है। इसका मुख्यालय कोलकाता में है। यह दुनिया भर में सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है और महारत्न सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। CIL भारत में पांचवां सबसे बड़ा नियोक्ता (employer) भी है।
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