ड्रग कंट्रोल ऑपरेशन पर भारत और म्यांमार के बीच द्विपक्षीय बैठक आयोजित की गयी

ड्रग कंट्रोल ऑपरेशन पर पांचवीं भारत-म्यांमार द्विपक्षीय बैठक हाल ही में आयोजित की गई। इस बैठक के दौरान, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ऑफ इंडिया और म्यांमार की सेंट्रल कमिटी ऑन ड्रग एब्यूज कंट्रोल ने नए साइकोट्रोपिक पदार्थों, ड्रग बरामदगी पर जांच का संचालन करने के लिए समय पर सूचना का आदान-प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की।

पृष्ठभूमि

हाल ही में जारी स्मगलिंग इन इंडिया रिपोर्ट, 2020 के अनुसार, मिजोरम म्यांमार से मादक पदार्थों की तस्करी के प्रमुख मार्गों में से एक के रूप में उभरा है। म्यांमार से उत्तर पूर्व में सिंथेटिक ड्रग्स और याबा टेबलेट की तस्करी की जा रही है। यह मुख्य रूप से स्वर्ण त्रिभुज क्षेत्र के कारण होता है, जहाँ थाईलैंड, म्यांमार और लाओस की सीमा के क्षेत्र में मेथ का उत्पादन किया जा रह है। मेथ को थाईलैंड में “याबा” और बांग्लादेश में “बाबा” कहा जाता है।

भारत-म्यांमार

भारत और म्यांमार एक त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट का निर्माण कर रहे हैं। यह मल्टीमॉडल प्रोजेक्ट कोलकाता को सिटवे बंदरगाह से जोड़ेगा। और यह परियोजना, म्यांमार की कलादान नदी को भारत के उत्तर पूर्व से जोड़ेगी।

भारत म्यांमार में शरण ले रहे उत्तर पूर्वी क्षेत्र के उग्रवादी समूहों से चिंतित है। वे नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड और यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट हैं। मई 2020 में, म्यांमार ने भारतीय विद्रोही समूहों के 22 कैडरों को सौंप दिया था।

भारत और म्यांमार ने हाल ही में ऊर्जा, संचार, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे जैसे विभिन्न क्षेत्रों में दस समझौतों पर हस्ताक्षर किए। दोनों  देशों के बीच मौजूदा द्विपक्षीय व्यापार 1.7 बिलियन अमरीकी डॉलर है। भारत म्यांमार का पांचवा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।

भारत के लिए म्यांमार क्यों महत्वपूर्ण है?

म्यांमार भारत की सीमा पर एकमात्र आसियान देश है। भारत के अनुसार, म्यांमार दक्षिण पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार है। भारत ने अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी और नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के तहत म्यांमार के साथ सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया है।

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