ड्रोन के लिए 26 ग्रीन जोन साइटें मंजूर की गयी
केंद्र सरकार ने हाल ही में ड्रोन के लिए 26 और ग्रीन जोन साइट्स को मंजूरी दी है।
मुख्य बिंदु
- नो-परमिशन-नो-टेक-ऑफ (NPNT) के अनुकूल ड्रोन के ऑपरेशन को सुविधाजनक बनाने के मद्देनजर यह मंजूरी दी गई थी।
- गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय द्वारा यह मंजूरी दी गई है।
- मंत्रालय ने इससे पहले छह ग्रीन ज़ोन साइटों के लिए भी अपनी मंजूरी दे दी है।
- यह आदेश अंबर दुबे द्वारा जारी किया गया था जो नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संयुक्त सचिव हैं।
- ये स्वीकृत साइटें अब डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर सक्षम हो जाएंगी।
- उसके बाद, सभी विशिष्ट पहचान संख्या धारकों को तत्काल उड़ान की अनुमति ऑनलाइन दी जाएगी।
NPNT क्या है?
NPNT एक ऑटोमेटेड ग्रीन सिग्नल है। इस ग्रीन सिग्नल के बिना ड्रोन उड़ान भरने के लिए अधिकृत नहीं हैं। ऐसे स्वचालित उड़ान प्राधिकरण को संभालने के लिए, वर्तमान में डिजिटल स्काई नामक प्लेटफार्म को विकसित किया जा रहा है।
ग्रीन जोन
- उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा आठ ग्रीन ज़ोन हैं।
- झारखंड में छह स्थलों को मंजूरी दी गई।
- छत्तीसगढ़ में चार।
- तेलंगाना में दो।
- आंध्र प्रदेश, मेघालय, गुजरात, ओडिशा, मिजोरम और तमिलनाडु में एक-एक ग्रीन जोन को मंज़ूरी दी गयी है।
उड़ान भरने की अनुमति कैसे प्राप्त की जा सकती है?
उड़ान की अनुमति प्राप्त करने के लिए RPAS (Remotely Piloted Aerial Systems) ऑपरेटरों या रिमोट पायलटों को फ्लाइट प्लान फाइल करना होगा। ग्रीन-जोन ’में उड़ान भरने के लिए, पोर्टल या एप्प के माध्यम से उड़ानों के समय और स्थान की सूचना देनी होगी येलो जोन में उड़ान भरने के लिए अनुमति की आवश्यकता होगी लेकिन, किसी भी उड़ान को ‘लाल क्षेत्रों’ में उड़ान भरने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
महत्व
किसानों और बुनियादी ढांचा संस्थाओं जैसे सड़क, रेलवे, बंदरगाह, कारखाने और खानों के लिए ड्रोन का उपयोग फायदेमंद साबित हो सकता है। इसका फायदा फोटोग्राफी और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों को भी मिलेगा।
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