तमिलनाडु ने NEET के खिलाफ बिल पास किया

तमिलनाडु एंटी-NEET बिल सितंबर 2021 में राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया गया था। यह विधेयक राज्य में चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए NEET की आवश्यकता को समाप्त करने का प्रयास करता है। केंद्र सरकार ने देश के सभी छात्रों के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (National Eligibility cum Entrance Test) अनिवार्य कर दी थी। इस आवश्यकता के विरोध में यह विधेयक पारित किया गया था।

बिल पर हालिया मुद्दा क्या है?

तमिलनाडु के राज्यपाल ने हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष को विधेयक लौटाते हुए कहा कि यह विधेयक छात्रों के हित के खिलाफ है। राज्यपाल के मुताबिक इस बिल से ग्रामीण इलाकों के छात्रों के हितों पर असर पड़ेगा। उन्होंने अपने तर्क के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया है। क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, तमिलनाडु में NEET रद्द करने से गरीब छात्रों का आर्थिक शोषण होगा।

इस मुद्दे पर तमिलनाडु सरकार का क्या रुख है?

तमिलनाडु सरकार नीट में दाखिले को खत्म करना चाहती है। इसके बजाय यह कक्षा 12 की परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर चिकित्सा और दंत चिकित्सा प्रवेश प्रदान करना चाहती है। प्रवेश सामान्यीकरण के माध्यम से प्रदान किए जाते हैं। इससे पहले, राज्य में मेडिकल प्रवेश इस तरह से होते थे और तमिलनाडु सरकार इसे जारी रखना चाहती है।

तमिलनाडु सरकार के तर्क क्या हैं?

तमिलनाडु सरकार का मानना ​​है कि नीट समाज में असमानता पैदा करता है। NEET उन अमीरों का पक्षधर है जो अपनी नियमित बारहवीं कक्षा की शिक्षा के अलावा विशेष कोचिंग का खर्च उठा सकते हैं। संपन्न वर्ग ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करने से हिचकिचाते हैं। वे विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। दूसरी ओर, ग्रामीण क्षेत्रों के 90% मेडिकल छात्र अपने पैतृक गाँवों में सेवा करके खुश हैं।

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