थिरुमाननचेरी मंदिर मंदिर, तमिलनाडु
कावेरी नदी के उत्तर में स्थित चोल नाडु में तेवरा स्टालम्स की श्रृंखला में थिरुमाननचेरी मंदिर मंदिर को 25 वां माना जाता है।
किंवदंती: पार्वती का जन्म भरत मुनि से हुआ था और उनका विवाह शिव से हुआ था। पार्वती ने शिव से सांसारिक विवाह करने की इच्छा व्यक्त की; शिव विवश हुए और इसलिए उन्होंने भरत मुनि की पुत्री के रूप में पुनर्जन्म लिया। शिव तिरुत्तुरुटी में लिंगम से निकले; भरत मुनि शिव के पास पहुंचे और पार्वती से विवाह के लिए हाथ मांगा। इस किंवदंती से सोनवरारिवर नाम उपजा है।
मंदिर: एक खाई मंदिर के चारों ओर है, और खाई के पानी समुद्र का प्रतिनिधित्व करते हैं जो शादी का गवाह है। गणपति, नटराज, दक्षिणामूर्ति, लिंगोदभवर, ब्रह्मा और दुर्गा की प्रतिमाएँ गर्भगृह के निशानों को सुशोभित करती हैं। इस मंदिर में श्री देवी और भू देवी के साथ वरदराजर (विष्णु) को समर्पित एक मंदिर है।
नटराज, कल्याणसुंदर, और आदि शेष चित्र भी यहाँ पाए जाते हैं। कल्याणसुंदर की कांस्य छवि उत्तम चोल (10 वीं शताब्दी) की है। विनायक, प्रदोषमूर्ति, चंदेश्वर और मणिक्कवक्कार की कांस्य छवियां बड़ी कारीगरी की हैं। परांतक चोल I के शिलालेख यहां देखे गए हैं, सेम्बियान महादेवी की बंदोबस्ती के शिलालेख भी यहां देखे गए हैं। परंतक चोल I समय के दौरान मूल ईंट संरचना को पत्थर में बदल दिया गया था और उत्तम चोल के समय में पूरा किया गया था। इस मंदिर में 3.5 एकड़ जमीन है। यहां शिव को अरुल वल्लल कहा जाता है।
त्यौहार: तिरुक्कल्याणम चित्तराई के महीने में मनाया जाता है; कार्तिकेय दीपम, अरुद्र दरिसनम और नवरात्रि भी यहां मनाए जाते हैं।