दंतेवाड़ा जिला, छत्तीसगढ़

दंतेवाड़ा जिला छत्तीसगढ़ का एक जिला है और इसे दक्षिण बस्तर जिला के रूप में भी जाना जाता है। जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा में स्थित हैं। यह जिला पूर्व में उड़ीसा, पश्चिम में बीजापुर जिले, दक्षिण में आंध्र प्रदेश और उत्तर में बस्तर जिले से घिरा है। दंतेवाड़ा जिले का कुल क्षेत्रफल लगभग 9046 वर्ग किलोमीटर है।
दंतेवाड़ा जिले का इतिहास
यह देश की आजादी से पहले बस्तर की रियासत का एक हिस्सा था। 1947 के बाद पूर्व बस्तर राज्य बस्तर जिले का एक हिस्सा बन गया, जिसे आगे तीन जिलों – बस्तर, दंतेवाड़ा और कांकेर में वर्ष 1999 में विभाजित किया गया था। 2000 में दंतेवाड़ा का गठन किया गया था।
दंतेवाड़ा जिले का भूगोल
दंतेवाड़ा जिले के भूगोल में पहाड़ी ट्रैक, घाटियां, नदियां और हरे भरे जंगल शामिल हैं। दंतेवाड़ा जिला जंगली जीवन की विभिन्न प्रजातियों जैसे बाघ, तेंदुआ, हिरण और बाइसन आदि का निवास है। दंतेवाड़ा जिला विभिन्न खानों और खनिजों से समृद्ध है। बैलाडीला में दुनिया में लौह अयस्क का सबसे बड़ा भंडार है। आयरन की मात्रा 68 प्रतिशत तक होती है। इसी प्रकार यूरेनियम, ग्रेनाइट, ग्रेफाइट, चूना पत्थर और संगमरमर जैसे भंडार भी जिले में पाए जाते हैं। दंतेवाड़ा जिला प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। लोहा, उच्च गुणवत्ता वाला ग्रेनाइट और सिलिका इस जिले में पाए जाने वाले कुछ मूल्यवान खनिज हैं।
दंतेवाड़ा जिले में पर्यटन
दंतेवाड़ा जिले में कई पर्यटक आकर्षण हैं। इस जिले में कई प्राचीन और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण मंदिर और मूर्तियां हैं। देवी दंतेश्वरी मंदिर इस जिले के प्रमुख मंदिरों में से एक है। जिले के कई स्थानों में पाए जाने वाले `स्मृति स्तंभ` स्थानीय जनजातियों की समृद्ध संस्कृति और परंपरा का उदाहरण है। दंतेवाड़ा जिला देश के सबसे कम साक्षर जिलों में से एक है।

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