‘दही हांडी’ (Dahi-Handi) को महाराष्ट्र में आधिकारिक खेल का दर्जा दिया गया
खो-खो और कबड्डी की तरह, दही हांडी को अब महाराष्ट्र में एक खेल का दर्जा दिया गया है। इसे एक तरह का एडवेंचर स्पोर्ट्स माना जाएगा।
मुख्य बिंदु
- मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में बताया कि दही हांडी में शामिल होने वाले गोविंदाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ, सरकारी नौकरियों में 5 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।
- गोविंदा को अब बीमा सुरक्षा भी दी जाएगी। यदि दही हांडी खेलते समय कोई दुर्घटना हो जाती है और ऐसी स्थिति में किसी गोविंदा की मृत्यु हो जाती है तो संबंधित गोविंदा के परिजनों को सहायता के रूप में 10 लाख रुपये की राशि दी जाएगी।
- गोविंदा की दोनों आंखें या दोनों पैर या दोनों हाथ या शरीर के कोई दो महत्वपूर्ण अंग पर गंभीर चोट लगने पर राज्य सरकार की ओर से उन्हें साढ़े सात लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।
- ऐसे में अगर किसी गोविंद का हाथ, पैर या शरीर का कोई अंग खो जाता है तो ऐसी स्थिति में उसे 5 लाख रुपए की सहायता राशि दी जाएगी।
दही हांडी क्या है?
दही हांडी भगवान श्रीकृष्ण के जन्म जन्माष्टमी के अवसर पर मनाई जाती है। दही हांडी जन्माष्टमी त्योहार का हिस्सा है, जहां युवा प्रतिभागी ‘गोविंदा’ कहलाते हैं, जो रंगीन कपड़े पहने हुए होते हैं और हवा में लटकाए गए बर्तन तक पहुंचने के लिए एक मानव पिरामिड बनाते हैं, और उसे तोड़ते हैं।
1907 में मुंबई में शुरू हुई दही हांडी की परंपरा नवी मुंबई के पास घनसोली गांव में पिछले 104 साल से चली आ रही है। दही हांडी पहली बार यहां 1907 में कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर शुरू की गई थी।
दही हांडी उत्सव को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां आते हैं। कुछ सर्किल हांडी तोड़ने पर करोड़ों का इनाम भी देते हैं।
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