दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के सर्वेक्षण के लिए LiDAR तकनीक का उपयोग किया जायेगा
10 जनवरी को दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए जमीनी सर्वेक्षण करने के लिए LiDAR तकनीक का उपयोग शुरू किया गया। LiDAR का अर्थ ‘Light Detection and Ranging’ है।
मुख्य बिंदु
भारतीय रेलवे हेलीकॉप्टर पर माउंटेड LiDAR तकनीक का उपयोग कर रहा है। पहली बार मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में इसका उपयोग किया गया था, उसके बाद अब दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर में इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
इस तकनीक में जीपीएस डाटा, लेजर डाटा, फ्लिघ पैरामीटर्स के संयोजन का उपयोग किया जाता है, इससे सटीक सर्वेक्षण किया जा सकता है।
दिल्ली-वाराणसी कॉरिडोर की लंबाई लगभग 800 किलोमीटर है और स्टेशनों के संरेखण का फैसला सर्वेक्षण के आधार पर और सरकार के परामर्श से किया जायेगा। यह कॉरिडोर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को आगरा, लखनऊ, मथुरा, प्रयागराज, रायबरेली, इटावा, भदोही, अयोध्या और वाराणसी जैसे प्रमुख शहरों से जोड़ेगा।
यह तकनीक बहुत कम समय में उच्च गुणवत्ता वाला डाटा प्रदान करती है। यह डाटा आमतौर पर भूस्खलन, सड़कों, सतही परिवहन, नहर, सिंचाई और शहर नियोजन से संबंधित परियोजनाओं में उपयोग की जाती है।
LIDAR
- यह एक रिमोट सेंसिंग विधि है जो पृथ्वी पर दूरी को मापने के लिए स्पंदित लेजर के रूप में प्रकाश का उपयोग करती है। यह प्रणाली लाइट पल्सेस पृथ्वी के आकार और इसकी सतह विशेषताओं के बारे में 3D जानकारी उत्पन्न करती हैं। एक LiDAR उपकरण में एक स्कैनर, लेजर और एक जीपीएस रिसीवर होता है। हेलीकॉप्टर और हवाई जहाज LiDAR डेटा प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले प्लेटफ़ॉर्म हैं।
- LiDAR दो प्रकार के होते हैं – स्थलाकृतिक (topographic) और बाथमीट्रिक (Bathymetric)।Topographic LiDAR भूमि का नक्शा बनाने के लिए इन्फ्रारेड लेजर का उपयोग करता है। दूसरी ओर, बाथमीट्रिक LiDAR नदी के तल की ऊँचाई और समुद्र तल को मापता है।
- इस तकनीक में उपयोग किए जाने वाले प्रकीर्णन प्रभाव रमन प्रकीर्णन, रेले स्कैटरिंग, माई स्कैटरिंग हैं।
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