दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति, 2021

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में “दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति, 2021” को मंजूरी दी है।

दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति, 2021 की मुख्य विशेषताएं

  • इस नीति में प्रारंभिक जांच और दुर्लभ बीमारियों की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के माध्यम से किया जायेगा। इस स्क्रीनिंग को जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित निदान केंद्रों द्वारा समर्थित किया जायेगा।
  • लगभग 8 स्वास्थ्य सुविधाओं को दुर्लभ बीमारियों के लिए उत्कृष्ट केंद्र के रूप में नामित किया जायेगा। वे दुर्लभ बीमारियों की रोकथाम और उपचार पर ध्यान केंद्रित करेंगे। इन केंद्रों को 5 करोड़ रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगा।
  • भारत सरकार ने दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए राष्ट्रीय आरोग्य निधि (Rashtriya Arogya Nidhi) के तहत 20 लाख रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की है। राष्ट्रीय आरोग्य निधि केवल गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को आवंटित की जाती है। हालांकि, इस बार इसे बढ़ाया जा रहा है।

नीति द्वारा संबोधित की जाने वाली चुनौतियाँ

दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति, 2021, निम्नलिखित चुनौतियों का समाधान करेगी:

  • अधिकांश दुर्लभ रोगों के लिए अनुसंधान और विकास कम है क्योंकि इन रोगों के पैथोफिज़ियोलॉजी के बारे में बहुत कम जानकारी है।.
  • दुर्लभ बीमारियों के लिए दवाओं की उपलब्धता और पहुंच में कमी।
  • दुर्लभ बीमारी के उपचार की लागत अत्यधिक महंगी है।

दुर्लभ रोग क्या हैं?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुर्लभ बीमारियां वे बीमारियां हैं जो प्रति हजार आबादी पर 1 या उससे कम होती हैं। हालांकि, कई अन्य देश अपनी-अपनी परिभाषाओं का उपयोग करते हैं।

भारत में दुर्लभ रोग

भारत में दर्ज की गई दुर्लभ बीमारियाँ प्राइमरी इम्यूनोडिफीसिअन्सी डिसऑर्डर, सिस्टिक फाइब्रोसिस, पोम्पे रोग, गौचर रोग, फैब्री रोग आदि हैं।

नीति का कार्यान्वयन

  • दुर्लभ बीमारियों के लिए एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) में स्थापित की जाएगी।
  • उत्कृष्टता के अधिसूचित केंद्रों को एक साथ लाने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया जायेगा।
  • वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया जाएगा कि वह दुर्लभ बीमारियों से संबंधित आयात दवाओं पर कस्टम ड्यूटी कम करे।
  • राज्य सरकारों से अनुरोध किया जाएगा कि वे राज्य के कम से कम एक मेडिकल कॉलेज में मेडिकल जेनेटिक्स विभाग का निर्माण करें।
  • एम्स, दिल्ली इस नीति के तहत स्थापित किए जाने वाले उत्कृष्टता के अन्य सभी केंद्रों के समन्वय में प्रमुख के रूप में कार्य करेगा।

28 फरवरी को हर साल दुर्लभ बीमारी दिवस (Rare Disease Day) के रूप में मनाया जाता है।

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