धारा 370 पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला : मुख्य बिंदु
सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मत फैसले में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को भारतीय संविधान का अस्थायी प्रावधान घोषित कर दिया। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली सरकार के 2019 के कदम की प्रतिक्रिया थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुख्य पहलू
- तीन समवर्ती निर्णय: मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले पर तीन समवर्ती निर्णय हैं।
- संवैधानिक प्रश्नों पर ध्यान: फैसले ने तीन मुख्य पहलुओं को संबोधित किया: राष्ट्रपति के आदेश की वैधता, दिसंबर 2018 में राष्ट्रपति शासन लागू करना और विस्तार करना, और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की संवैधानिकता।
- राष्ट्रपति शासन की वैधता: अदालत ने राष्ट्रपति शासन लगाने और बढ़ाने की वैधता पर फैसला नहीं दिया, क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने इसे चुनौती नहीं दी थी। अदालत ने राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र की शक्ति पर सीमाओं पर जोर दिया, उन तर्कों को खारिज कर दिया, जिन्होंने इस अवधि के दौरान अपरिवर्तनीय परिणामों वाले कार्यों को चुनौती दी थी।
- जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता का अभाव: अदालत ने स्पष्ट किया कि भारत में विलय पर जम्मू-कश्मीर ने आंतरिक संप्रभुता बरकरार नहीं रखी। इसने जम्मू-कश्मीर संविधान में संप्रभुता के संदर्भों की अनुपस्थिति पर प्रकाश डाला और पुष्टि की कि राज्य भारत का अभिन्न अंग बन गया है।
- अनुच्छेद 370 की अस्थायी प्रकृति: अदालत ने पाठ्य साक्ष्यों और सीमांत नोट्स का हवाला देते हुए इसकी अस्थायी प्रकृति का संकेत देते हुए फैसला सुनाया कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि यह संवैधानिक एकीकरण की क्रमिक प्रक्रिया का हिस्सा था।
- राष्ट्रपति की शक्तियां : अदालत ने जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को हटाते हुए संवैधानिक आदेश 273 जारी करने के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कदम को बरकरार रखा। इसमें कहा गया कि संविधान सभा की सिफ़ारिश राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं थी।
- चुनाव और मानवाधिकार उल्लंघन पर आदेश: अदालत ने चुनाव आयोग को 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया, और राज्य का दर्जा बहाल करने का आह्वान किया।
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