नई दिल्ली में स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission) की बैठक आयोजित की जाएगी

राजनयिक संबंधों की व्यापक बहाली पर प्रकाश डालते हुए, दोनों देश “स्थायी सिंधु आयोग” की बैठक आयोजित करेंगे। यह आयोग सिन्धु नदी के पानी के अधिकारों से संबंधित है।

मुख्य बिंदु

स्थायी सिंधु आयोग जो 1960 की सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) के तहत स्थापित किया गया था, 23 मार्च और 24 मार्च को नई दिल्ली में बैठक करेगा। यह आयोग द्विपक्षीय जल मुद्दों से संबंधित है और वे बैठक के दौरान इस पर चर्चा करेंगे।

बैठक का एजेंडा

इस बैठक के दौरान, पाकिस्तान भारत के पाकल डल और लोअर कलनई पनबिजली संयंत्रों के तकनीकी डिजाइनों पर अपनी आपत्ति उठाएगा। यह वार्ता वर्ष 2019 में कश्मीर में आत्मघाती बम विस्फोट के बाद हो रही है। इस आत्मघाती बम विस्फोट का आरोप पाकिस्तान के आतंकवादियों पर था। दूसरी ओर भारत द्वारा कश्मीर से धारा 370 हटाने के फैसले का पाकिस्तान द्वारा विरोध किया गया था। लेकिन अब देश सीमाओं को फिर से जोड़ने और शांत करने के लिए अस्थायी प्रयास कर रहे हैं।

स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission)

यह एक द्विपक्षीय आयोग है जिसमें भारत और पाकिस्तान के अधिकारी शामिल हैं। लक्ष्य और उद्देश्यों को लागू करने और प्रबंधित करने के लिए आयोग बनाया गया था। यह सिंधु जल संधि के एजेंडे को भी रेखांकित करता है।

सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty)

यह भारत और पाकिस्तान के बीच जल-वितरण संधि है। यह संधि विश्व बैंक द्वारा समर्थित है। यह संधि सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों में उपलब्ध पानी के उपयोग का प्रावधान करती है। इस संधि पर भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने 19 सितंबर, 1960 को कराची में हस्ताक्षर किए थे। यह संधि तीन पूर्वी नदियों जैसे ब्यास, रवि और सतलुज के जल पर नियंत्रण प्रदान करती है।

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