नमदा परियोजना (Namda Project) क्या है?

विश्व युवा कौशल दिवस पर, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने निर्यात के लिए नमदा कला उत्पादों के पहले बैच को हरी झंडी दिखाई। यह पहल प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के तहत कार्यान्वित नमदा परियोजना का हिस्सा है।

नमदा शिल्प में अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण 

नमदा परियोजना के तहत, कश्मीर के छह जिलों, श्रीनगर, बारामूला, गांदरबल, बांदीपोरा, बडगाम और अनंतनाग के लगभग 2,200 उम्मीदवारों ने नमदा शिल्प की कला में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। यह परियोजना इस लुप्तप्राय कला को संरक्षित करने और स्थानीय बुनकरों और कारीगरों को सशक्त बनाने में एक महत्वपूर्ण मील का है। 

भेड़ की ऊन और फेल्टिंग तकनीक से नमदा का निर्माण 

नमदा शिल्प में भेड़ के ऊन का उपयोग करके गलीचे बनाना शामिल है। पारंपरिक बुनाई प्रक्रिया के विपरीत, इन जटिल गलीचों को तैयार करने के लिए फेल्टिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है। हालाँकि, कच्चे माल की कम उपलब्धता, कुशल जनशक्ति की कमी और सीमित विपणन तकनीकों जैसी विभिन्न चुनौतियों के कारण 1998 और 2008 के बीच नमदा शिल्प के निर्यात में लगभग 100 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी। 

कौशल विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी 

नमदा परियोजना कौशल विकास में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के सफल कार्यान्वयन को दर्शाती है। स्थानीय उद्योग भागीदारों ने नमदा शिल्प की कला में व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने के लिए सरकार के साथ सहयोग किया। यह साझेदारी इस कला को पुनर्जीवित करने और क्षेत्र में आर्थिक विकास के लिए निवेश आकर्षित करने के सामूहिक प्रयास पर प्रकाश डालती है। 

प्रशिक्षण कार्यक्रम की अवधि और उद्देश्य 

नमदा परियोजना के तहत प्रत्येक प्रशिक्षण कार्यक्रम लगभग साढ़े तीन महीने तक चलता है। परियोजना को प्रशिक्षण के तीन चक्रों में 25 बैचों में लागू किया गया है। इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य कश्मीर में नमदा शिल्प से जुड़ी समृद्ध विरासत को संरक्षित और पुनर्जीवित करना है। कारीगरों को आवश्यक कौशल से लैस करके, परियोजना का उद्देश्य अवसरों तक उनकी पहुंच में सुधार करना और उनकी रोजगार संभावनाओं को बढ़ाना है। 

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