नाथूराम मिर्धा (Nathuram Mirdha) कौन थे?

राजस्थान के नागौर शहर में 14 मई को भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नाथूराम मिर्धा की प्रतिमा का अनावरण किया। इस समारोह ने भारतीय राजनीति और समाज में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति नाथूराम मिर्धा के अनुकरणीय योगदान और उपलब्धियों को श्रद्धांजलि दी।

मुख्य बिंदु 

नाथूराम मिर्धा बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उनकी उल्लेखनीय भूमिकाओं में एक सांसद, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और किसान नेता शामिल थे। राजस्थान के नागौर जिले के कुचेरा में 20 अक्टूबर, 1921 को जन्मे मिर्धा का जीवन राष्ट्र की सेवा और समाज के उत्थान के लिए समर्पित था।

किसान नेतृत्व 

किसान नेतृत्व में मिर्धा की भागीदारी उल्लेखनीय थी। उन्होंने छोटू राम के मार्गदर्शन में जोधपुर में किसानों की एक विशाल सभा आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और बलदेव राम मिर्धा द्वारा स्थापित संस्था “किसान सभा” में शामिल हुए। 1946 में, मिर्धा इसके सचिव बने, किसानों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।

राजनीतिक यात्रा और प्रभाव

नाथूराम मिर्धा की राजनीतिक यात्रा शानदार रही। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1952 में मेड़ता सिटी निर्वाचन क्षेत्र से भारी बहुमत से जीता। अपने पूरे करियर के दौरान, उन्होंने राजस्थान विधान सभा और लोकसभा में सेवा की। राजनीति में उनका कार्यकाल राजस्थान में कृषि और सहकारी क्षेत्रों को मजबूत करने पर केंद्रित था, जिससे राज्य और इसके लोगों के कल्याण पर स्थायी प्रभाव पड़ा।

कृषि क्षेत्र में योगदान

कृषि और किसानों की भलाई के लिए मिर्धा का समर्पण उनके राजनीतिक करियर से आगे बढ़ा। राष्ट्रीय कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने किसानों के हित में उनकी आजीविका बढ़ाने और एक उचित कृषि प्रणाली सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कई योजनाओं को लागू किया।

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