नासा अब तक के सबसे शक्तिशाली रॉकेट का परीक्षण करेगा
नासा 17 जनवरी, 2021 को दुनिया में सबसे शक्तिशाली रॉकेट को लॉन्च करेगी। नासा ने इसे “स्पेस लॉन्च सिस्टम” (SLS) नाम दिया है।
स्पेस लॉन्च सिस्टम की मुख्य विशेषताएं
- स्पेस लॉन्च सिस्टम पहली महिला और पुरुष अंतरिक्षयात्री को चंद्रमा तक ले जाएगी।
- यह 98 मीटर लंबा है। 1960 के दशक में अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर ले जाने वाले सैटर्न वी की लम्बाई 110 मीटर थी।
- इसमें 27टन से अधिक भार उठाने की क्षमता है।
- स्पेस लॉन्च सिस्टम को लोअर अर्थ ऑर्बिट में रखा जायेगा।
- इसमें चार आरएस -25 इंजन हैं।
यह रॉकेट कैसे काम करता है?
स्पेस लॉन्च सिस्टम में एक विशाल कोर है। इसमें दो ठोस रॉकेट बूस्टर हैं। इनके अलावा, कोर में दो बड़े भंडारण टैंक हैं। एक टैंक तरल हाइड्रोजन और दूसरा तरल ऑक्सीजन स्टोर करता है। जब तरल ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को इंजन के चैंबर में भेजा जाता है, तो रासायनिक प्रतिक्रिया से भारी मात्रा में ऊर्जा और भाप बनती है। यह भाप 16,000 किमी / घंटा की गति से इंजन नोजल को बाहर निकालती है ताकि हवा के माध्यम से रॉकेट को आगे बढ़ने में मदद की जा सके।
SLS में सॉलिड रॉकेट बूस्टर
सॉलिड रॉकेट बूस्टर्स गुरुत्वाकर्षण बल के नियंत्रण से बाहर निकलने के लिए अतिरिक्त शक्ति प्रदान करते हैं। ये ठोस बूस्टर कुल थ्रस्ट का 75% प्रदान करते हैं।
एसएलएस सबसे शक्तिशाली रॉकेट क्यों है?
- SLS लॉन्च के समय 1 मेगा न्यूटन के थ्रस्ट उत्पन्न करेगा।यह सैटर्न वी से 15% अधिक है। यह अब तक का सबसे अधिक थ्रस्ट स्तर है।
- 1960 में, सोवियत संघ ने N1 का निर्माण किया था।एन 1 को चंद्रमा तक पहुंचने के लिए बनाया गया था। यह 4 मेगा न्यूटन के जोर का उत्पादन कर सकता है। हालांकि, एन 1 मिशन असफल रहा था।
भविष्य के शक्तिशाली रॉकेट
- SLS के भविष्य के संस्करण को ब्लॉक -2 कार्गो कहा जाता है।यह उम्मीद की जाती है कि एसएलएस का ब्लॉक -2 एन 1 के थ्रस्ट स्तर तक पहुंच जाएगा।
- स्पेस-एक्स द्वारा निर्मित किया जा रहा ‘स्टारशिप’ नामक व्हीकल 7 मेगा न्यूटन थ्रस्ट का उत्पादन करने में सक्षम है। लॉन्च के बाद यह दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट होगा।
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