नीति आयोग ने ‘Harnessing Green Hydrogen’ रिपोर्ट जारी की

सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने “Harnessing Green Hydrogen- Opportunities for Deep Decarbonisation in India” शीर्षक से अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की। यह रिपोर्ट दिल्ली स्थित थिंक टैंक RMI इंडिया के सहयोग से तैयार की गई है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • अपनी रिपोर्ट में, नीति आयोग ने भारत में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन पर जीएसटी और सीमा शुल्क को कम करने या छूट देने की सिफारिश की है।
  • इसने ग्रीन हाइड्रोजन कॉरिडोर स्थापित करने के साथ-साथ उन स्टार्ट-अप्स को अनुदान देने का भी प्रस्ताव है जो घरेलू स्तर पर हरित हाइड्रोजन समाधान पर काम कर रहे हैं।
  • इसके अनुसार, सरकार को देश में हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए लागत में कमी करने पर ध्यान देना चाहिए।

वर्तमान हरित हाइड्रोजन नीति

इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान ग्रीन हाइड्रोजन नीति पर्याप्त उपायों का प्रावधान करती है, जो अंतर-राज्यीय संचरण (ISTS) शुल्क छूट के साथ-साथ ग्रीन अमोनिया और ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए खुली पहुंच पर केंद्रित है। कर और शुल्क को कम या छूट देकर इसके उत्पादन में और सुधार किया जा सकता है।

ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?

ग्रीन हाइड्रोजन हाइड्रोजन गैस है, जो पानी के इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से उत्पन्न होती है। इलेक्ट्रोलिसिस पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करने के लिए एक ऊर्जा गहन प्रक्रिया है।

भारत में हाइड्रोजन की मांग

इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हाइड्रोजन की मांग 2050 तक चार गुना बढ़ जाएगी, जो वैश्विक हाइड्रोजन मांग का 10% है। इस प्रकार, यह हरित हाइड्रोजन के लिए मांग एकत्रीकरण के माध्यम से निवेश को सुविधाजनक बनाने का सुझाव देता है। 

हाइड्रोजन कॉरिडोर

इस रिपोर्ट में राज्यों के सहयोग से ग्रीन हाइड्रोजन कॉरिडोर स्थापित करने की सिफारिश की गई है।

पृष्ठभूमि

केंद्र सरकार ने फरवरी 2022 में हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया नीति को अधिसूचित किया है, जिसका उद्देश्य 2030 तक हरित हाइड्रोजन के घरेलू उत्पादन को 5 मिलियन टन तक बढ़ाना है।

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