नोएडा सुपरटेक ट्विन टावर मामला (Noida Supertech Twin Tower Case) क्या है?
भारत के उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में दो 40 मंजिला टावरों को गिराने का आदेश दिया है, इन टावरों में 850 फ्लैट हैं और इनका निर्माण नोएडा में सुपरटेक लिमिटेड समूह ने किया है।
मुख्य बिंदु
- सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश तब जारी किया जब यह पाया गया कि सुपरटेक ने इमारतों के बीच की दूरी बनाए रखने और अग्नि सुरक्षा के संबंध में नियमों का उल्लंघन किया है।
- अदालत के अनुसार, इन टावरों का निर्माण New Okhla Industrial Development Authority (NOIDA) और सुपरटेक समूह की मिलीभगत से किया गया था। इस प्रकार, अदालत ने उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी।
निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सुपरटेक की एमराल्ड कोर्ट परियोजना के एपेक्स और सेयेन नामक दो टावरों को तीन महीने के भीतर ध्वस्त करने का निर्देश दिया। सभी खर्चे डेवलपर द्वारा वहन किये जायेंगे। सुपरटेक को उन सभी लोगों को 12% की वार्षिक ब्याज दर पर रिफंड करने के लिए भी कहा गया, जिन्होंने दो महीने के भीतर टावरों में फ्लैट खरीदे थे। इसके अलावा, सुपरटेक को मूल योजना के तहत बनाए गए 15 अन्य टावरों के रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ रुपये का भुगतान होगा।
पृष्ठभूमि
सुपरटेक ने अप्रैल 2014 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कंपनी को ट्विन टावरों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। जब हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया तब ये टावर निर्माणाधीन थे।
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