पंजाब में बाढ़ की समस्या क्यों बढ़ रही है?
सतलज, ब्यास, रावी और घग्गर नदियों के किनारे बाढ़ क्षेत्र ज़ोनिंग (floodplain zoning) की अनुपस्थिति के कारण पंजाब में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। उचित रूप से प्रबंधित बाढ़ के मैदान (floodplains) बाढ़ के खिलाफ प्राकृतिक सुरक्षा के रूप में कार्य करते हैं, भूजल को रिचार्ज करते हैं और जल स्तर को बनाए रखते हैं।
फ्लडप्लेन ज़ोनिंग में विनियमित भूमि उपयोग के लिए बाढ़ की संभावना वाली नदियों के आसपास के क्षेत्रों को नामित करना शामिल है, जिससे बाढ़ के दौरान क्षति को कम किया जा सके। पंजाब में ज़ोनिंग की कमी के कारण अतिक्रमण और कंक्रीट निर्माण हुआ है जिससे बाढ़ का प्रभाव और भी बदतर हो गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देशों के बावजूद, बाढ़ क्षेत्र ज़ोनिंग की प्रगति धीमी बनी हुई है। ज़ोनिंग की अनुपस्थिति लोगों और बाढ़ क्षेत्र के स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करती है, जो पूरे भारत में व्यापक बाढ़ प्रबंधन रणनीतियों की तात्कालिकता को रेखांकित करती है।
पंजाब में कौन से क्षेत्र बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित हैं, और बाढ़ क्षेत्र की जोनिंग क्यों महत्वपूर्ण है?
सतलज, ब्यास, रावी और घग्गर नदियों के किनारे के गाँव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। बाढ़ क्षेत्र ज़ोनिंग महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विनियमित भूमि उपयोग के लिए बाढ़ की संभावना वाले क्षेत्रों को निर्दिष्ट करता है। अच्छी तरह से प्रबंधित बाढ़ के मैदान अंतर्देशीय बाढ़ के खिलाफ प्राकृतिक सुरक्षा के रूप में काम करते हैं, भूजल को रिचार्ज करते हैं और जल स्तर को बनाए रखते हैं।
बाढ़ क्षेत्र ज़ोनिंग का उद्देश्य क्या है, और इसकी अनुपस्थिति के परिणाम क्या हैं?
फ्लडप्लेन ज़ोनिंग का उद्देश्य बाढ़ की संभावना वाले क्षेत्रों में भूमि उपयोग को विनियमित करके बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करना है। ज़ोनिंग की अनुपस्थिति से अतिक्रमण और कंक्रीट निर्माण होता है, जिससे बाढ़ का प्रभाव बढ़ता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पंजाब को बाढ़ क्षेत्र ज़ोनिंग लागू करने का निर्देश दिया है, लेकिन प्रगति धीमी है।
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