‘पश्चिमी विक्षोभ’ (Western Disturbance) क्या हैं?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अनुमान लगाया था कि पश्चिमी विक्षोभ के 11 जनवरी, 2022 से पूर्वी राज्यों से टकराने की संभावना है।
मुख्य बिंदु
- यह भविष्यवाणी करते हुए IMD ने झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार राज्यों के लिए 11 जनवरी से 13 जनवरी के लिए पीले और नारंगी अलर्ट जारी किए।
- इन राज्यों में छिटपुट से व्यापक रूप से हल्की या मध्यम वर्षा होने की संभावना है।
पश्चिमी विक्षोभ क्या है? (Western Disturbances)
पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाला एक अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय तूफान (extra-tropical storm) है। यह विक्षोभ भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भागों में अचानक सर्दियों की बारिश लाता है। यह पूर्व में बांग्लादेश के उत्तरी भागों और दक्षिण पूर्वी नेपाल तक फैला हुआ है। यह एक गैर-मानसून वर्षा पैटर्न है और यह पछुआ हवाओं (westerlies) द्वारा संचालित होता है। सर्दियों के मौसम में पश्चिमी विक्षोभ काफी मजबूत होते हैं।
पश्चिमी विक्षोभ का महत्व
पश्चिमी विक्षोभ रबी की फसल के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें मुख्य गेहूं भी शामिल है।
यह कैसे बनता है?
पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं। यूक्रेन और उसके पड़ोस पर एक उच्च दबाव का क्षेत्र समेकित (consolidate) हो जाता है। इस समेकन के परिणामस्वरूप ध्रुवीय क्षेत्रों से ठंडी हवा का प्रवेश उच्च नमी और गर्म हवा वाले क्षेत्र की ओर होता है। यह ऊपरी वायुमंडल में साइक्लोजेनेसिस (cyclogenesis) के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करता है, जिससे पूर्व की ओर बढ़ने वाले अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय अवसाद (extra-tropical depression) का निर्माण होता है। यह विक्षोभ भारतीय उपमहाद्वीप की ओर 12 मीटर/सेकेंड तक की गति से यात्रा करता है, जब तक कि हिमालय इसे रोक नहीं देता। इसके बाद यह डिप्रेशन तेजी से कमजोर होता है।
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