पश्चिम बंगाल ने विधान परिषद (Legislative Council) बनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत राज्य में विधान परिषद (legislative council) के निर्माण के लिए 6 जुलाई, 2021 को राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया।
मुख्य बिंदु
- सरकार 196 मतों के साथ प्रस्ताव पारित करने में सफल रही।
- बंगाल में विधान सभा में 294 सदस्य है।हालांकि, मतदान के दौरान केवल 265 ही मौजूद रहे।
पृष्ठभूमि
विधान परिषद का निर्माण ममता बनर्जी का एक प्रमुख चुनावी वादा था। विधानसभा चुनावों के लिए ममता बनर्जी ने कहा था, जिन टीएमसी नेताओं को टिकट नहीं मिला, उन्हें विधान परिषद में भेजा जाएगा।
कानून क्या कहता है?
कानून के अनुसार, पश्चिम बंगाल में विधान परिषद में अधिकतम 94 सदस्य हो सकते हैं, जो कुल विधानसभा सीटों का एक तिहाई है।
क्या राज्यों में विधान परिषद हो सकती है?
हाँ। वर्तमान में छह राज्य; उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक में विधान परिषद है। पश्चिम बंगाल में भी विधान परिषद थी। यह 1937 में उच्च सदन वाला पहला राज्य था। लेकिन 1969 में, विधान परिषद को समाप्त कर दिया गया था क्योंकि तत्कालीन सरकार ने इसे “अभिजात्यवाद का प्रतीक” (symbol of elitism) माना था।
विधान परिषद पर हाल की मांग
तमिलनाडु में तीन दशकों से विधान परिषद का गठन विवाद का विषय रहा है। असम विधानसभा और राजस्थान विधानसभा ने भी 2010 और 2012 में विधान परिषदों के गठन का प्रस्ताव पारित किया था। दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश ने विधान परिषद को समाप्त करने के लिए एक विधेयक पारित किया है। इस विधेयक को संसद में पेश किया जाना बाकी है। जम्मू और कश्मीर में भी एक विधान परिषद थी। हालांकि, 2019 में राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में डाउनग्रेड किए जाने के बाद इसे भंग कर दिया गया था।
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