पीएम केयर्स फंड को ‘राज्य’ घोषित करने के लिए याचिका दायर की गयी
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से उस याचिका पर जवाब देने को कहा है जिसमें संविधान के तहत “Prime Minister’s Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations (PM CARES) Fund” को एक ‘राज्य’ घोषित करने का प्रयास किया गया है।
मुख्य बिंदु
- यह याचिका एक वकील सम्यक गंगवाल ने दायर की थी।
- यह सुनवाई 13 सितंबर, 2021 को मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ द्वारा की गई थी।
- इस याचिका में अनुच्छेद 12 के तहत पीएम केयर्स फंड को ‘राज्य’ घोषित करने की मांग की गई है ताकि इसके कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
कोर्ट का निष्कर्ष
दिल्ली हाई कोर्ट के मुताबिक, पीएम केयर्स फंड संविधान के तहत ‘राज्य’ नहीं है। इसलिए, डोमेन नाम ‘gov’, प्रधानमंत्री की तस्वीर, राज्य के प्रतीक आदि का उपयोग बंद कर देना चाहिए।
याचिका
- इस याचिका के अनुसार, COVID-19 महामारी के बाद भारत के नागरिकों को सहायता प्रदान करने के लिए 27 मार्च, 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा पीएम केयर्स फंड बनाया गया था।
- PM CARES फंड के ट्रस्टी उच्च सरकारी अधिकारी हैं, इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि आरोप के किसी भी अवसर को दूर करने के लिए उचित व्यवस्था की जाये।
- उन्होंने सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत PM CARES को ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ घोषित करने के लिए एक याचिका भी दायर की।
पीएम केयर्स फंड (PM CARES Fund)
पीएम केयर्स फंड 27 मार्च, 2020 को COVID-19 महामारी की पृष्ठभूमि में बनाया गया था। महामारी के खिलाफ राहत प्रयासों का मुकाबला करने, रोकने और बढ़ावा देने के लिए फंड बनाया गया था। इस फंड के निर्माण के लिए दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। इस कोष के अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। इसके ट्रस्टियों में रक्षा मंत्री (राजनाथ सिंह) गृह मामलों के मंत्री (अमित शाह) और वित्त मंत्री (निर्मला सीतारमण) शामिल हैं।
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