पुराने कोयला संयंत्रों को बंद करके भारत सालाना 1.2 अरब डॉलर बचा सकता है : अध्ययन

एक अध्ययन में कहा गया है कि कुछ पुराने कोयला जलाने वाले बिजली संयंत्रों को बंद करके और नए को लंबे समय तक चलने की अनुमति देकर भारत प्रति वर्ष 1.2 बिलियन डॉलर बचा सकता है। यह अध्ययन ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (CEEW) द्वारा आयोजित किया गया था।

मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को 30 गीगावाट की अकुशल कोयले से चलने वाली फैसिलिटी को जल्दी से बंद करना चाहिए।देश को रिजर्व के रूप में 20 गीगावाट संयंत्र भी अलग रखना चाहिए।
  • पुराने संयंत्र अधिक कोयले की खपत करते हैं, इन्हें बंद करने से ग्रीनहाउस-गैस उत्सर्जन को कम करने, देश की हवा को साफ करने और पानी व मिट्टी के प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।
  • पुराने संयंत्रों को बंद करने से थर्मल फ्लीट की उपयोग क्षमता में भी सुधार होगा जिसका वर्तमान में कम उपयोग किया जा रहा है।
  • देश में पुराने संयंत्रों को बंद करने में देरी से हर गुजरते साल में बिजली के बिल के साथ-साथ पानी, वायु और मिट्टी के प्रदूषण का बोझ बढ़ रहा है।
  • वर्तमान में, भारत में 203-गीगावाट बिजली कोयले से पैदा होती है।यह देश की स्थापित क्षमता उत्पादन का 53% और देश के बिजली उत्पादन का लगभग 70% है।

यह अध्ययन कैसे किया गया?

CEEW द्वारा 30 महीने की अवधि में 194 गीगावाट कोयला बिजली संयंत्रों की जांच की गई, जो फरवरी 2020 में समाप्त हो गई। CEEW द्वारा समर्थित नई प्रणाली हर साल 42 मिलियन टन कोयले को जलाने से बचाएगी।

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