पृथ्वी का छठा सामूहिक विलोपन (Earth’s Sixth Mass Extinction) : मुख्य बिंदु

बायोलॉजिकल रिव्यू (Biological Reviews) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वी ग्रह पर छठा सामूहिक विलोपन (Sixth Mass Extinction Crisis) संकट चल रहा है। पृथ्वी पहले ही अपनी कुल प्रजातियों का लगभग 13% खो चुकी है।

पृथ्वी पर सामूहिक विलोपन (Mass Extinctions on Earth)

अतीत में पृथ्वी ने 5 सामूहिक विलोपन (mass extinctions) देखें हैं। अंतिम सामूहिक विलोपन लगभग 65 मिलियन वर्ष पहले हुआ था, जिसने डायनासोर का सफाया कर दिया था।

मुख्य बिंदु 

  • पृथ्वी में प्रजातियों के विलुप्त होने की दर में भारी वृद्धि देखी जा रही है और कई जानवरों और पौधों की आबादी में गिरावट आई है।इसके बावजूद, विशेषज्ञ इस बात से इनकार करते हैं कि ये घटनाएं बड़े पैमाने पर विलुप्त होने के बराबर हैं।

अध्ययन के निष्कर्ष

  • इस टीम ने घोंघे (molluscs) अर्थात भूमि घोंघे (land snails) और स्लग (slugs) का अध्ययन किया, जो ज्ञात प्रजातियों में दूसरा सबसे बड़ा संघ (second-largest phylum) है।
  • IUCN रेड लिस्ट के आंकड़ों के अनुसार, पक्षियों और स्तनधारियों की तुलना में मोलस्क को विलुप्त होने की उच्च दर का सामना करना पड़ा है।
  • अकशेरुकी जीवों (invertebrates) में लगभग 95% ज्ञात पशु प्रजातियां शामिल हैं। इस प्रकार, उन्हें जैव विविधता विलुप्त होने के अनुमान में शामिल करना आवश्यक है।
  • लेकिन अकशेरूकीय की 15 लाख वर्णित प्रजातियों में से केवल 2% का ही पूरी तरह से मूल्यांकन किया गया है।

पृथ्वी का छठा सामूहिक विलोपन (Earth’s Sixth Mass Extinction)

होलोसीन विलोपन को “छठे सामूहिक विलोपन” (sixth mass extinction) के रूप में जाना जाता है। यह मानव गतिविधि के कारण वर्तमान होलोसीन युग के दौरान प्रजातियों के विलुप्त होने की घटना है। विलुप्त होने वाले जीवों में कवक, बैक्टीरिया, पौधों और जानवरों के कई परिवार शामिल हैं, जिनमें स्तनधारी, सरीसृप, पक्षी, मछली, उभयचर और अकशेरुकी शामिल हैं। विलुप्त होने की वर्तमान दर प्राकृतिक पृष्ठभूमि विलुप्त होने की दर की तुलना में 100 से 1,000 गुना अधिक होने का अनुमान है।

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