पेंच टाइगर रिजर्व में ‘कॉलरवाली’ बाघिन की मृत्यु हुई
भारत के पेंच टाइगर रिजर्व में ‘कॉलरवाली’ बाघिन की हाल ही में मृत्यु हो गई। मध्य प्रदेश राज्य के वन विभाग द्वारा ‘कॉलरवाली’ बाघिन’ का अंतिम संस्कार किया गया। 16 साल की उम्र में इस बाघिन की मौत हुई।
कॉलरवाली बाघिन (Collarwali Tigress)
- कॉलरवाली बाघिन का जन्म 2005 में हुआ था। उसने पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों की आबादी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।उसने अपने जीवन काल में 29 शावकों को जन्म दिया। यह एक विश्व रिकॉर्ड है।
- 2005 में, कॉलरवाली बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया। वे जीवित नहीं रहे।
- 2018 में उसने चार शावकों को जन्म दिया था।
- 2010 में, उसने पांच शावकोंको जन्म दिया। तीन या चार से अधिक शावकों को जन्म देने वाली बाघिनें बहुत दुर्लभ हैं। इसी वजह से उन्हें “सुपरमॉम” कहा जाता था।
नाम कारण
इस बाघिन को कॉलर पहनाया गया था। जंगल में बाघों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उन्हें कॉलर पहनाया जाता है। पेंच टाइगर रिजर्व में कॉलर पाने वाली वह पहली बाघिन हैं।
महत्व
टाइगर रिजर्व देश के राष्ट्रीय पशु के संरक्षण के लिए शुरू किए गए थे। हालाँकि, आज ये बाघ अभयारण्य पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं और देश में पर्यटन में सुधार कर रहे हैं। भारत सरकार की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 70% बाघ भारत में हैं। भारत में बाघों की संख्या करीब तीन हजार है।
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