प्राचीन भारतीय इतिहास : 22 – शुंग और कण्व
अशोक की मृत्यु के बाद ही मौर्य साम्राज्य का पतन आरम्भ हुआ, उसके बाद के शासक अधिक कुशल नहीं था। और धीरे-धीरे मौर्य साम्राज्य की शक्ति क्षीण होती गयी। अशोक के बाद कुणाल शासक बना, जिसे दिव्यावदान ने धर्मविवर्धन कहा गया है। वृहद्रथ मौर्य वंश का अंतिम शासक था, उसके सेनापति ने उसकी हत्या कर दी और इस प्रकार और मौर्य साम्राज्य का अंत हो गया। मौर्य साम्राज्य के पतन के सम्बन्ध इतिहासकारों व विद्वानों ने अलग-अलग मत प्रस्तुत किये हैं। हरिप्रसाद शास्त्री के अनुसार ब्राहमण विरोधी नीति के कारण मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ। हेमचन्द्र राय चौधरी के अनुसार अहिंसक व शांतिप्रिय नीति के कारण जबकि डी.डी. कौशाम्बी के अनुसार आर्थिक कारण से मौर्य साम्राज्य कमज़ोर हुआ। डी.एन. झा के अनुसार कमज़ोर उत्तराधिकारी की कारण मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ, रोमिला थापर के अनुसार प्रशासनिक कुशलता की कमी के कारण इसका अंत हुआ।
मौर्य साम्राज्य के बाद ब्राह्मण राजवंशों की स्थापना हुई जिसमें शुंग, कण्व और सातवाहन राजवंश प्रमुख हे।
शुंग राजवंश (185-73 ईसा पूर्व)
मौर्य साम्राज्य के अंतिम शासक की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की। तत्पश्चात पुष्यमित्र ने शुंग वंश की स्थापना की। पुष्यमित्र शुंग वैदिक धर्म का संरक्षक था। हालांकि उसने मध्य प्रदेश में स्थित भरहुत स्तूप का निर्माण करवाया। संभवतः पुष्यमित्र शुंग ने सेनानी के नाम से शासन किया। पुष्यमित्र शुंग के शासनकाल की जानकारी पूरण, हर्षचरित और मालविकाग्निमित्र आदि पुस्तकों से मिलती है।
महर्षि पतंजलि पुष्यमित्र शुंग के पुरोहित थे। पुष्यमित्र ने दो अश्वमेध यज्ञों का आयोजन किया था। यह यज्ञ पतंजलि द्वारा संपन्न किये गए थे। पुष्यमित्र के राज्यपाल धनदेव के अयोध्या अभिलेख से इसकी जानकारी मिलती है। पुष्यमित्र शुंग के शासन काल में भारत पर यवनों (ग्रीक) का आक्रमण हुआ। पुष्यमित्र ने यवन आक्रमणों को असफल कर दिया था। पतंजलि पुष्यमित्र शुंग के समकालीन थे जिनहोने योग दर्शन की रचना की।
पुष्यमित्र के बाद अग्निमित्र शुंग वंश का शासक बना। अग्निमित्र इस वंश का अंतिम शक्तिशाली शासक था। उसके बाद वसुमित्र, वज्रमित्र, भागभाद्र और देव भूति काफी कमज़ोर शासक सिद्ध हुए, जिस कारण शुंग वंश का पतन हुआ। कालिदास ने अपनी पुस्तक मालविकाग्निमित्र में अग्निमित्र का वर्णन किया है, अग्निमित्र मालविकाग्निमित्र का नायक है। जिसमे अग्निमित्र की आमात्य परिषद् की भी चर्चा की गयी है। शुंग वंश का अंतिम शासक देवभूति था जिसकी उसके सेनापति वसुदेव ने हत्या कर कण्व वंश की स्थापना की।
कण्व वंश (73-28 ईसा पूर्व)
शुंग वंश के बाद कण्व वंश की स्थापना हुई। शुंग वंश के अंतिम शासक देवभूति की हत्या करके उसके अधिकारी वसुदेव ने की। कण्व वंश में केवल 4 शासक ही हुए वसुदेव, भूमिमित्र, नारायण और सुशर्मन। इस वंश की राजधानी मध्य भारत में विदिशा में स्थित थी। विदिशा से कण्व के सर्वाधिक सिक्के प्राप्त हुए हैं। इस वंश का अंत सातवाहन वंश द्वारा किया गया।
पहले जीके टुडे में प्राचीन भारतीय राजनीतिक विचारक व पाश्चात्य राजनीतिक विचारकों का भी प्रश्न के बारेंं मे जानकारी दे आप की बणी कृपा होगी।
शुभरात्रि,
पहले जीके टुडे में प्राचीन भारतीय राजनीतिक विचारक व पाश्चात्य राजनीतिक विचारकों के बारेंं मे प्रश्न दिएं जाते थे कृपया अस आप्सन को फिर से लागू करें आप की बणी कृपा होगी।
शुभरात्रि,आभार