बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान में प्रस्तावित राजमार्ग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ

सरकार ने बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क के माध्यम से 6-लेन एलिवेटेड राजमार्ग के निर्माण का प्रस्ताव दिया है, जिससे वन्यजीवों और आवास पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में चिंतित पर्यावरणविदों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान लुप्तप्राय एशियाई हाथियों, बाघों और अन्य प्रजातियों का एक महत्वपूर्ण जैव विविधता हॉटस्पॉट घर है।

परियोजना अवलोकन

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने सैटेलाइट टाउनशिप रिंग रोड (STRR) परियोजना के हिस्से के रूप में बन्नेरघट्टा और जिगनी रोड को जोड़ने वाले 3.85 किलोमीटर की दूरी पर एक फ्लाईओवर बनाने की योजना बनाई है। एलिवेटेड हाईवे राष्ट्रीय उद्यान के 27.45 एकड़ मुख्य क्षेत्र और 14 एकड़ बफर जोन से होकर गुजरेगा। इसका उद्देश्य बेंगलुरु के आसपास के सात शहरों को जोड़कर यातायात की भीड़ को कम करना है। NHAI को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से मंजूरी मिल गई है और दिसंबर 2025 तक निर्माण पूरा होने की उम्मीद है।

पर्यावरणीय चिंता

संरक्षणवादियों ने वन्य जीवन और आवास पर संभावित प्रभावों के बारे में चिंता जताई है। बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान कुछ खंडों में एक संकीर्ण संरक्षित क्षेत्र है। राजमार्ग उपलब्ध हाथियों के आवास को कम कर देगा और पार्क के 100 निवासी हाथियों के साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ने की संभावना है। पार्क में लुप्तप्राय बाघ, तेंदुए, ढोल और गौर भी हैं। इस परियोजना में गलियारे में 1,288 पेड़ों को काटना शामिल है जो प्रमुख हाथी क्षेत्र से होकर गुजरता है।

राज्य सरकार का रुख

कर्नाटक राज्य सरकार अभी भी योजना की समीक्षा कर रही है और अधिक जानकारी मांग रही है। वन मंत्री का लक्ष्य ऐसे समाधान ढूंढना है जो पार्क की सुरक्षा करते हुए यातायात की जरूरतों को पूरा करें। NHAI का तर्क है कि वन्यजीव पैटर्न के वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर शमन उपाय तैयार किए जाएंगे। सरकार इस परियोजना को बन्नेरघट्टा और जिगनी के बीच भीड़भाड़ से राहत के लिए आवश्यक मानती है।

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