बांग्लादेश ने गिद्ध के लिए विषैली दवाओं पर प्रतिबंध लगाया
बांग्लादेश ऐसा पहला देश बन गया है जिसने दर्द निवारक किटोप्रोफेन पर प्रतिबंध लगा दिया है। मवेशियों के इलाज के लिए इस दर्द निवारक दवा का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। लेकिन यह दर्द निवारक दवा गिद्धों के लिए विषैली है।
मुख्य बिंदु
- इससे पहले, कुछ 10 साल पहले डाइक्लोफेनाक पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।
- विश्व स्तर पर संकटग्रस्त गिद्धों की शेष आबादी को बचाने के लिए यह एक ऐतिहासिक कदम है।
- विशेषज्ञों का कहना है, गिद्धों की आबादी को बचाने के लिए भारत, पाकिस्तान, नेपाल और कंबोडिया द्वारा इसी तरह के कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
Saving Asia’s Vultures from Extinction (SAVE) की रिपोर्ट में कहा गया है कि केटोप्रोफेन को व्यापक रूप से बांग्लादेश में एक मुख्य एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। लेकिन, नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAID) जैसे डाइक्लोफेनाक और केटोप्रोफेन दक्षिण एशिया के गिद्धों के लिए एक बड़ा खतरा हैं।
अन्य देशों द्वारा उठाए गए कदम
भारत सरकार ने वर्ष 2006 में पशु चिकित्सा उद्देश्य के लिए डाइक्लोफेनाक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, यह कदम उतना प्रभावी नहीं है, क्योंकि अन्य जहरीली दवाएं उपयोग में हैं। दिसंबर 2020 में, ओमान अरब प्रायद्वीप में पहला देश बन गया, जहां गिद्धों जैसे लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए डाइक्लोफेनाक के पशु चिकित्सा उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
भारतीय गिद्ध
इस गिद्ध का वैज्ञानिक नाम जिप्सस इंडिकस है। यह गिद्ध भारत, पाकिस्तान और नेपाल में पाया जाता है। यह मध्य और प्रायद्वीपीय भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में प्रजनन करता है। गिद्धों की नौ भारतीय प्रजातियों में से तीन की जनसंख्या में 90 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह, गिद्ध 2002 के बाद से IUCN रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
Categories: पर्यावरण एवं पारिस्थिकी करेंट अफेयर्स
Tags:NSAID , Saving Asia’s Vultures from Extinction , कंबोडिया , गिद्ध , नेपाल , पाकिस्तान , बांग्लादेश , भारत , भारतीय गिद्ध