बिहार में भारत के पहले ग्रीनफील्ड अनाज आधारित इथेनॉल संयंत्र का उद्घाटन किया गया

हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा बिहार में अनाज आधारित इथेनॉल संयंत्र का उद्घाटन किया गया।

मुख्य बिंदु

  • अनाज आधारित इथेनॉल संयंत्र 105 करोड़ रुपये में बनाया गया था।
  • ईस्टर्न इंडिया बायोफ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड ने इस प्लांट की स्थापना की है।
  • इथेनॉल संयंत्र एक शून्य-तरल निर्वहन (ZLD) संयंत्र है।
  • केंद्र द्वारा बिहार की इथेनॉल उत्पादन और संवर्धन नीति-2021 को हरी झंडी देने के बाद से यह पहला विकसित संयंत्र है।
  • यह संयंत्र 15 एकड़ भूमि पर बनाया गया है और यह प्रतिदिन 150 टन मक्का और चावल का उपयोग करके प्रति दिन 65,000 लीटर इथेनॉल का उत्पादन करने में सक्षम है।
  • यह उप-उत्पाद (by-product) के रूप में DDGS (distiller’s dried grains with solubles) का भी उत्पादन करेगा, जिसे जानवरों के चारे के लिए बेचा जाएगा।
  • इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी तेल विपणन कंपनियों (OMCs) के साथ 10 साल का इथेनॉल खरीद समझौता किया गया है।

यह संयंत्र ईंधन की जरूरतों को पूरा करने के लिए गन्ना, मक्का और चावल का उपयोग करके इथेनॉल उत्पादन में प्रवेश करने की अपनी आकांक्षा में बिहार की मदद करेगा।

जीरो-लिक्विड डिस्चार्ज (ZLD) क्या है?

शून्य तरल निर्वहन (ZLD) एक अपशिष्ट जल प्रबंधन रणनीति है जो तरल अपशिष्ट को समाप्त करती है और जल उपयोग दक्षता को अधिकतम करती है।

बिहार में इथेनॉल उत्पादन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ क्या हैं?

  • कच्चे माल की प्रचुरता: उदाहरण के लिए, बिहार में हर साल तीन मक्का फसलों की कटाई की जाती है। गन्ना और टूटे चावल जो उपभोग के लिए उपयुक्त नहीं हैं, उनका उपयोग किया जा सकता है।
  • पानी की उपलब्धता: बिहार में भूजल स्तर कई जल निकायों के कारण अच्छा है।
  • श्रम की उपलब्धता: श्रम अपेक्षाकृत सस्ते दर पर उपलब्ध है।

इथेनॉल क्या है?

इथेनॉल एक स्पष्ट, रंगहीन कार्बनिक तरल है। वैकल्पिक ईंधन स्रोत होने के अलावा, इसका उपयोग रासायनिक विलायक के रूप में और कार्बनिक यौगिकों के संश्लेषण में किया जाता है।

इथेनॉल का उत्पादन कैसे किया जाता है?

इथेनॉल का उत्पादन बायोमास (पौधे सामग्री) के किण्वन से या एथिलीन हाइड्रेशन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जा सकता है।

बायोएथेनॉल क्या है?

बायोमास से उत्पादित इथेनॉल को बायोएथेनॉल भी कहा जाता है। इसे स्टार्च- या चीनी-आधारित फीडस्टॉक्स, जैसे मकई, गन्ना, और अन्य पौधों की सामग्री से उत्पादित किया जा सकता है।

भारत के लिए एथेनॉल क्यों महत्वपूर्ण है?

  • देश में ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए।
  • कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करना, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि होगी।
  • पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए।
  • इथेनॉल उत्पादन संयंत्रों के माध्यम से रोजगार सृजन।
  • मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए।
  • किसानों की आय बढ़ाने में मदद करना।
  • वेस्ट टू वेल्थ जेनरेशन को बढ़ावा देना।

इथेनॉल सम्मिश्रण के लिए भारत का लक्ष्य क्या है?

भारत ने पेट्रोल में 9% इथेनॉल सम्मिश्रण हासिल किया है। भारत ने 2025 तक 20% इथेनॉल मिश्रण प्राप्त करने का लक्ष्य तय किया है।

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