ब्रेन फ़िंगरप्रिंटिंग क्या है?
हाल ही में ब्रेन फ़िंगरप्रिंटिंग सुर्ख़ियों में रही। दरअसल, हाथरस रेप केस में अब चारों आरोपियों की ब्रेन इलेक्ट्रिकल ऑसिलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग की जाएगी। ब्रेन फ़िंगरप्रिंटिंग या ब्रेन इलेक्ट्रिकल ऑसिलेशन सिग्नेचर एक न्यूरो साइकोलॉजिकल मेथड है। इसका इस्तेमाल किसी आरोपी के मस्तिष्क की प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करके मामले की पूछताछ करने के लिए किया जाता है।
ब्रेन इलेक्ट्रिकल ऑसिलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग
इसे ब्रेन फ़िंगरप्रिंटिंग भी कहा जाता है। यह पूछताछ का एक न्यूरोसाइकोलॉजिकल तरीका है। इसके द्वारा आरोपियों से, उनके मस्तिष्क की प्रतिक्रिया के आधार पर पूछताछ की जाती है। इस टेस्ट के लिए इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है, इसके द्वारा मानव मस्तिष्क के विद्युत व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
यह टेस्ट कैसे किया जाता है?
इस टेस्ट के लिए पहले आरोपी की सहमति ली जाती है। बाद में, आरोपी को बहुत सारी इलेक्ट्रोड वाली एक हेड कैप पहना दी जाती है। इसके बाद, उसे ऑडियो था विजुअल क्लिप दिखाई जाती है जो उस केस से सम्बंधित हैं। इससे यह पता चलता है कि क्या दिमाग में ट्रिगर करने वाली न्यूरॉन्स किसी प्रकार की ‘ब्रेन वेव’ को उत्पन्न कर रही हैं अथवा नहीं।
क्या यह टेस्ट प्रभावशाली है?
यह टेस्ट ज्ञान और अनुभव के आधार पर किया जाता है। आरोपी के दिमाग में किए गए अपराध की जानकारी हो सकती है। आरोपी के दिमाग में किए गए अपराध का ज्ञान हो सकता है।
यह टेस्ट आरोपी से सिर्फ पूछताछ के लिए उपयोग किया जाता है। गौरतलब है कि आरोपी को इस टेस्ट के आधार पर दोषी करार नहीं किया जा सकता। आरोपी को दोषी सिद्ध करने के लिए सीबीआई को पूछताछ तथा अन्य पारंपरिक कानूनी तरीकों का उपयोग करना पड़ता है।
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