भारत-इजरायल ने कृषि में सहयोग के लिए 3 साल के कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए
भारत और इज़रायल ने तीन साल के संयुक्त कार्य कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए हैं जो 2023 तक जारी रहेगा। कृषि में सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से इस संयुक्त कार्य कार्यक्रम शुरू किया गया था।
पृष्ठभूमि
भारत और इज़रायल ने इसी तरह के चार संयुक्त कार्य कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
नए कार्य कार्यक्रम के बारे में
- नए कार्य कार्यक्रम के तहत, भारतीय किसानों को इजरायल के खेत और जल प्रौद्योगिकियों के बारे में जागरूक करने के लिए 13 उत्कृष्टता केंद्र (Centres of Excellence) स्थापित किए गए थे।
- कृषि में एक मॉडल पारिस्थितिकी तंत्र जिसे विलेज ऑफ एक्सीलेंस (Villages of Excellence) कहा जाता है, को भी आठ राज्यों में 75 गांवों के भीतर बनाया जाएगा।
- यह नया कार्यक्रम शुद्ध आय में वृद्धि को बढ़ावा देगा और व्यक्तिगत किसान की आजीविका को बढ़ाएगा।
- यह IIAP मानकों के आधार पर पारंपरिक खेतों को आधुनिक-गहन खेतों में भी बदल देगा।
- यह कृषि समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए द्विपक्षीय संबंधों और कृषि में दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग को भी मजबूत करेगा।
भारत इज़रायल कृषि संबंध
भारत और इज़रायल ने 1993 में कृषि क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंध शुरू किए थे। इसलिए, यह नया कार्यक्रम 5वीं भारत-इज़रायल कृषि कार्य योजना (Indo-Israel Agriculture Action Plan – IIAP) है।
भारत-इजरायल कृषि कार्य योजना का महत्व
ये कार्य योजनाएं किसानों की आय दोगुनी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इसने बागवानी की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार किया है जिससे किसान की आय में वृद्धि हुई है।
उत्कृष्टता केंद्र (Centres of Excellence – CoE)
भारत के 12 राज्यों में 29 CoE कार्यरत हैं। वे लगभग 25 मिलियन सब्जियों के पौधे, लगभग 3,87,000 गुणवत्ता वाले फलों के पौधे पैदा करते हैं। उत्कृष्टता केंद्र लगभग 1.2 लाख किसानों को नवीनतम तकनीक के बारे में प्रशिक्षण भी प्रदान कर रहे हैं जिसका उपयोग बागवानी में किया जा सकता है।
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