भारत-चीन सीमा के पास भारत के सबसे ऊंचे हर्बल पार्क का उद्घाटन किया गया
उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में भारत-चीन सीमा के पास 11,000 फीट की ऊंचाई पर भारत के सबसे ऊंचे हर्बल पार्क का उद्घाटन किया गया।
मुख्य बिंदु
इस ऊंचाई वाले हर्बल पार्क का उद्घाटन विभिन्न औषधीय और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण अल्पाइन प्रजातियों के संरक्षण और इन प्रजातियों के प्रसार और आवास पारिस्थितिकी पर अनुसंधान करने के उद्देश्य से किया गया है।
इसे कहाँ विकसित किया गया है?
माणा गांव में तीन एकड़ के क्षेत्र में यह पार्क विकसित किया गया है। माणा वन पंचायत ने जमीन दी थी। इसे उत्तराखंड वन विभाग के अनुसंधान विंग द्वारा विकसित किया गया है।
इसे कैसे विकसित किया गया?
इस पार्क को केंद्र सरकार की प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority – CAMPA) योजना के तहत तीन साल में विकसित किया गया था।
हर्बल पार्क
इस हर्बल पार्क में 40 प्रजातियां शामिल हैं जो भारतीय हिमालयी क्षेत्र में ऊंचाई वाले अल्पाइन क्षेत्रों में पाई जाती हैं। इनमें से कई प्रजातियों को International Union for Conservation of Nature (IUCN) की लाल सूची के साथ-साथ राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा लुप्तप्राय और संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है। पार्क में कई महत्वपूर्ण औषधीय जड़ी-बूटियाँ भी शामिल हैं।
पार्क के चार खंड
पार्क को चार वर्गों में बांटा गया है:
- पहला खंड – इसमें बद्रीनाथ (भगवान विष्णु) से जुड़ी प्रजातियां शामिल हैं जिनमें बद्री तुलसी, बद्री वृक्ष, बद्री बेर और भोजपत्र का पवित्र वृक्ष शामिल है।
- दूसरा खंड – यह अष्टवर्ग प्रजाति को समर्पित है। यह प्रजाति आठ जड़ी बूटियों का एक समूह है जो हिमालय क्षेत्र में पाई जाती है।
- तीसरा खंड – इसमें सौसुरिया प्रजाति शामिल है और इसमें ब्रह्मकमल शामिल है जो उत्तराखंड का राज्य फूल है।
- चौथा खंड – इसमें मिश्रित अल्पाइन प्रजातियां शामिल हैं जैसे कि अतीश, मीठाविश, चोरू और वंकाकडी।
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