भारत-जापान ने शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में भारत और जापान के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को मंज़ूरी दी। इस एमओयू को राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला (NARL) और जापान के क्योटो विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित अनुसंधान संस्थान फॉर सस्टेनेबल ह्यूमनोस्फीयर के बीच हस्ताक्षर किये गये हैं।
समझौता ज्ञापन के उद्देश्य क्या हैं?
इस समझौता ज्ञापन के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- इस एमओयू के अनुसार, NARL और RISH प्रौद्योगिकी, वायुमंडलीय विज्ञान, सहयोगी वैज्ञानिक प्रयोगों और अन्य अध्ययन के क्षेत्रों में अपना सहयोग जारी रखेंगे।
- वे वैज्ञानिक सामग्री, सूचना, प्रकाशन, छात्रों, संकाय सदस्यों और शोधकर्ताओं का आदान-प्रदान भी करेंगे।
- इस समझौता ज्ञापन में जापान में मध्य और ऊपरी वायुमंडल राडार, मेसोस्फीयर-स्ट्रैटोस्फियर-ट्रोपोस्फीयर रडार, इक्वेटोरियल एटमॉस्फियर रडार जैसी सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति होगी।
पृष्ठभूमि
2008 से NARL और RISH एक साथ काम कर रहे हैं। इस MoU को 2008 में औपचारिक रूप दिया गया था और इसे 2013 में पहले नवीनीकृत किया गया था। नवंबर 2020 में, NARL और RISH ने नए दिशानिर्देशों के तहत सहयोगी अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक नए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
भारत-जापान
- भारत और जापान सालाना 2 + 2 वार्ता का आयोजन करते हैं। अमेरिका के बाद जापान ऐसा दूसरा देश है जिसके साथ भारत का ऐसा संवाद प्रारूप है।
- जापान को भारत पेट्रोलियम उत्पाद, रसायन आदि निर्यात करता है।
- भारत जापान से परिवहन, मशीनरी, लोहा और इस्पात, इलेक्ट्रॉनिक सामान इत्यादि आयात करता है।
- भारत में जापान का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मुख्य रूप से विद्युत उपकरण, ऑटोमोबाइल, दूरसंचार, दवा क्षेत्र में है।
- जापान ने दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे में 90 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश किया है।यह औद्योगिक पार्क, नए शहर, बंदरगाह और हवाई अड्डे स्थापित करेगा।
- जापान भारत को परमाणु रिएक्टर और परमाणु तकनीक की आपूर्ति करता है।
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