भारत ने ‘वैक्सीन मैत्री पहल’ के तहत श्रीलंका को कोविशील्ड वैक्सीन भेजी
भारत ने अपनी “वैक्सीन मैत्री पहल” का विस्तार अब श्रीलंका तक कर दिया है। इस समझौते के अनुसार, भारत ने कोविशील्ड की 5,00,000 खुराक श्रीलंका को अनुदान सहायता के रूप में भेजीं है। ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल ने अब तक भारत ने पड़ोस के सात देशों में लगभग पांच मिलियन खुराक वितरित की है।
पृष्ठभूमि
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाये गये टीके श्रीलंका को दिए गए हैं, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के समकक्ष महिंदा राजपक्षे के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। पीएम मोदी ने श्रीलंका में महामारी के स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभावों को कम करने के लिए सभी संभावित सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता ज़ाहिर की थी।
वैक्सीन मैत्री पहल
- वैक्सीन मैत्री पहल 20 जनवरी 2021 को लांच की गई थी।
- इस पहल के तहत, भारत अपने पड़ोसी देशों को मेड-इन-इंडिया कोविड-19 टीके की आपूर्ति कर रहा है।नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के अन्य प्रमुख साझेदारों को भी वैक्सीन दी जाएगी।
- भूटान और मालदीव टीके प्राप्त करने वाले पहले देश थे।
- इसके बाद बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और सेशेल्स को टीके दिए गये।
- विनियामक अनुमोदन के बाद श्रीलंका को वैक्सीन की खुराक मिल रही है।
- अफगानिस्तान और मॉरीशस को भी आवश्यक नियामक मंजूरी देने के बाद टीके मिलेंगे।
- अब तक, भारत ने भूटान को 1,50,000 खुराक, मालदीव को 100,000 खुराक, बांग्लादेश को 2 मिलियन खुराक, नेपाल को 1 मिलियन खुराक, म्यांमार को 5 मिलियन खुराक, सेशेल्स को 50,000 खुराक और मॉरीशस को 100,000 खुराक प्रदान की है।
कोविशील्ड की वाणिज्यिक आपूर्ति
भारत ने ब्राजील और मोरक्को को कोविशिल्ड की दो मिलियन खुराक और बांग्लादेश को पांच मिलियन खुराक की आपूर्ति की है। इसके अलावा, दक्षिण अफ्रीका और सऊदी अरब को भी यह वैक्सीन भेजी जाएगी।
भारत की वैक्सीन कूटनीति
- अनुदान सहायता के रूप में टीकों का वितरण भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी नीति’ और SAGAR सिद्धांत के अनुरूप है।
- वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए 2020 में, भारत ने श्रीलंका में 400 मिलियन डॉलर की मुद्रा विनिमय सुविधा का विस्तार किया था। भारत ने 26 टन आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं और उपकरणों की सहायता भी प्रदान की।
- भारत ने महामारी के दौरान सक्रिय रूप से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, रेमेडिसविर, पेरासिटामोल टैबलेट, डायग्नोस्टिक किट, मास्क, दस्ताने, वेंटिलेटर और कई देशों को अन्य चिकित्सा आपूर्ति की।
- भारत ने अपने पड़ोसी देशों को प्रशिक्षण भी प्रदान किया है ताकि क्लिनिकल परीक्षण (PACT) कार्यक्रम के लिए भागीदारी के तहत अपनी नैदानिक क्षमताओं को बढ़ाया जा सके।
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