भारत में सौर अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या : मुख्य बिंदु

हालाँकि भारत की सौर ऊर्जा क्षमता लगातार बढ़ रही है, परन्तु देश में सौर पैनलों और इसकी निर्माण प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाले कचरे के प्रबंधन पर उचित नीति नहीं है।

मुख्य बिंदु

वर्तमान में, भारत सौर कचरे को अपने उत्पन्न इलेक्ट्रॉनिक कचरे का एक हिस्सा मानता है और इस प्रकार स्वतंत्र रूप से इसका हिसाब नहीं रखता है। इसके अलावा, देश में कोई व्यावसायिक रूप से संचालित कच्चा माल सौर ई-कचरा रिकवरी सुविधा नहीं है।

भारत में, सौर अपशिष्ट को स्क्रैप के रूप में बेचा जाता है और यदि उचित पुनर्चक्रण (recycling) नहीं किया गया तो इससे सौर ई-कचरे की वृद्धि हो सकती है। सरकार को अपना ध्यान सौर ई-कचरे से निपटने के लिए नियमों का मसौदा तैयार करने की ओर लगाना चाहिए।

भारत में सौर ऊर्जा क्षमता

इस साल तक सरकार का 100GW सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है। भारत का एक राष्ट्रीय सौर मिशन है जिसका उद्देश्य राष्ट्र को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है। इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों को आगे लाया गया है।

पीएम मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ मिलकर वर्ष 2015 में वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड (OSOWOG) के विजन के साथ इंटरनेशनल सोलर अलायंस लॉन्च किया था।

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