भारत में हर साल असामान्य तापमान के कारण होती हैं 7 लाख से अधिक मौतें : अध्ययन
लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल (Lancet Planetary Health Journal) द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में सालाना लगभग 7,40,000 मौतें जलवायु परिवर्तन के कारण असामान्य गर्म और ठंडे तापमान से जुड़ी हैं।
मुख्य बिंदु
- ऑस्ट्रेलिया में मोनाश विश्वविद्यालय (Monash University) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक अंतर्राष्ट्रीय टीम द्वारा अध्ययन किया गया था।
- इस अध्ययन में प्रकाश डाला गया कि 2000 से 2019 तक सभी क्षेत्रों में गर्म तापमान से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है। यह इंगित करता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लोबल वार्मिंग भविष्य में मृत्यु दर के आंकड़े को और बढ़ाएगी।
- 2000 से 2019 तक दुनिया भर में टीम द्वारा मृत्यु दर और तापमान के आंकड़ों का अध्ययन किया गया। इस अवधि में तापमान में 26 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की वृद्धि हुई है।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
- लैंसेट जर्नल के अनुसार, वैश्विक स्तर पर एक वर्ष में 5 मिलियन से अधिक अतिरिक्त मौतों को असामान्य तापमान से जोड़ा जा सकता है।
- भारत में प्रति वर्ष 6,55,400 मौतों की संख्या असामान्य ठंडे तापमान से जुड़ी हुई है।
- भारत में उच्च तापमान से जुड़ी मौतों की संख्या 83,700 है।
- मृत्यु दर पर गैर-इष्टतम तापमान (non-optimal temperatures) के प्रभाव में भौगोलिक अंतर हैं। पूर्वी यूरोप और उप-सहारा अफ्रीका में सबसे अधिक गर्मी और ठंड से संबंधित अतिरिक्त मृत्यु दर है।
- 2000 से 2019 तक ठंड से होने वाली मौतों में 51 फीसदी की कमी आई है, जबकि गर्मी से होने वाली मौत में 0.21 फीसदी की वृद्धि हुई है।
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