भारत सरकार ने सीमित देयता भागीदारी के लिए प्रकटीकरण नियमों को सख्त किया
भारत सरकार ने सीमित देयता भागीदारी (Limited Liability Partnerships – LLPs) के लिए सख्त प्रकटीकरण नियम लागू किए हैं, जिसमें भागीदारों के एक रजिस्टर के रखरखाव को अनिवार्य किया गया है जिसमें उनके लाभकारी हितों और योगदान, मूर्त और अमूर्त दोनों का विवरण शामिल है।
नया नियामक ढाँचा
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी सीमित देयता भागीदारी (तीसरा संशोधन) नियम, 2023, 28 अक्टूबर, 2023 को लागू हुआ। इन नियमों के अनुसार, नव स्थापित LLPs को निगमन के 30 दिनों के भीतर अपने कार्यालय में पंजीकृत भागीदारों का एक रजिस्टर बनाए रखना होगा।
पारदर्शिता को बढ़ावा देना
इस विनियामक बदलाव का उद्देश्य भारत में LLPs के संचालन में पारदर्शिता बढ़ाना है, विशेष रूप से चालू वित्त वर्ष में कंपनियों और साझेदारी फर्मों के निगमन में वृद्धि हुई है।
रजिस्टर की सामग्री
साझेदारों के रजिस्टर में निम्नलिखित विवरण होने चाहिए:
- व्यावसायिक और व्यक्तिगत जानकारी: कार्यालय का पता, ईमेल आईडी और स्थायी खाता संख्या सहित।
- योगदान की प्रकृति: LLPs को लाए गए मूर्त, अमूर्त, चल, अचल या अन्य लाभों की जानकारी। इसमें धन, वचन पत्र, नकद या संपत्ति के योगदान के लिए समझौते, और मौद्रिक मूल्य वाली सेवाओं के लिए अनुबंध, किसी भी अन्य हितों के साथ शामिल हैं।
- अपडेट: रजिस्टर प्रविष्टियों में कोई भी परिवर्तन सात दिनों के भीतर अपडेट किया जाना चाहिए।
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