भारत हिमालयी ग्लेशियरों के रडार सर्वे आयोजित करेगा

भारत ने हिमालय के ग्लेशियरों की मोटाई का अनुमान लगाने के लिए हवाई राडार सर्वेक्षण करने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत, पायलट अध्ययन हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति बेसिन में आयोजित किया जाएगा। यह प्रस्ताव पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान (National Centre for Polar & Ocean Research – NCPOR) केंद्र द्वारा शुरू किया गया था।

मुख्य बिंदु

इस प्रायोगिक परियोजना के पूरा हो जाने के बाद सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र उप-घाटियों में भी इसी तरह के अध्ययन किए जाएंगे। यह घटना भारत की नदी प्रणालियों में ग्लेशियरों के महत्व के कारण महत्वपूर्ण है और भारत-गंगा के मैदानों (Indo-Gangetic Plains) में 500 मिलियन लोग इस पर आश्रित है। वे ऊर्जा सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं।

भारत चरम मौसम की घटनाओं के लिए सबसे कमजोर (vulnerable) देशों में से एक है। जलवायु जोखिम सूचकांक (Climate Risk Index) में इसे 20वें स्थान पर रखा गया है। फरवरी, 2021 में उत्तराखंड के रैनी गाँव के पास ग्लेशियर के फटने से कई लोगों की जान चली गयी थी।

राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (National Centre for Polar and Ocean Research – NCPOR)

इसे पहले अंटार्कटिक और महासागर अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय केंद्र (National Centre for Antarctic and Ocean Research – NCAOR) के रूप में जाना जाता है। यह एक भारतीय अनुसंधान और विकास संस्थान है जो गोवा में वास्को डी गामा में स्थित है। यह केंद्र भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के महासागर विकास विभाग (Department of Ocean Development) के तहत एक स्वायत्त संस्थान है। यह केंद्र भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम (Indian Antarctic Programme) का प्रबंधन करने के लिए जिम्मेदार है। यह भारत के भारती और मैत्री नामक अंटार्कटिक अनुसंधान स्टेशनों का प्रबंधन भी करता है। इसकी स्थापना 25 मई, 1998 को हुई थी। डॉ प्रेम चंद पांडे NCPOR के संस्थापक निदेशक थे।

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