भारत 1000 मेगावाट बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करेगा
केंद्र सरकार ने पायलट 1000 मेगावाट बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (Battery Energy Storage System – BESS) परियोजना की स्थापना के लिए रुचि की अभिव्यक्ति (Expression of Interest) आमंत्रित करने को अपनी मंजूरी दे दी है।
मुख्य बिंदु
- यह पायलट प्रोजेक्ट नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और बिजली मंत्रालय का संयुक्त प्रयास है।
- भारत में ऊर्जा भंडारण प्रणाली की स्थापना के लिए रोड मैप उपलब्ध कराने के लिए दोनों मंत्रालय इस पर काम कर रहे हैं।
BESS परियोजना क्यों शुरू की जा रही है?
2030 तक नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा 450 GW नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य का समर्थन करने के लिए बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) की स्थापना की जाएगी।
BESS की खरीद कौन करेगा?
भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) ने 1000 मेगावाट BESS की खरीद के लिए रुचि की अभिव्यक्ति की मांग की। इसे RFS बोली दस्तावेज के साथ प्रकाशित किया जाएगा और BESS की खरीद और उपयोग के लिए व्यापक दिशानिर्देश का मसौदा तैयार किया जाएगा।
अंतिम RFS दस्तावेज़
विभिन्न हितधारकों के सुझावों और फीडबैक के आधार पर, अंतिम RFS दस्तावेज नवंबर, 2021 में जारी किया जाएगा। RFS दस्तावेज के साथ, BESS की खरीद और उपयोग के लिए अंतिम व्यापक दिशानिर्देश उत्पादन, पारेषण और वितरण परिसंपत्तियों के हिस्से के रूप में जारी किए जाएंगे।
ऊर्जा भंडारण प्रणाली का उपयोग
मंत्रालय के अनुसार, भारत ने अक्षय ऊर्जा के तहत ऊर्जा भंडारण प्रणाली का उपयोग करने की योजना बनाई है। पारेषण प्रणाली (transmission system) के उपयोग को अधिकतम करने और ग्रिड स्थिरता को मजबूत करने के लिए ऊर्जा भंडारण प्रणाली का उपयोग ग्रिड तत्व के रूप में किया जाएगा। यह पारेषण अवसंरचना के संवर्धन में निवेश को बचाने में मदद करेगा।
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