भूकंप के कारण ज्वालामुखी विस्फोट की आशंका के चलते आइसलैंड ने आपातकाल की घोषणा की
रेक्जेन्स प्रायद्वीप (Reykjanes peninsula) में शक्तिशाली भूकंप आने के बाद आइसलैंड में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गई, जिससे संकेत मिलता है कि कुछ दिनों के भीतर संभावित ज्वालामुखी विस्फोट हो सकता है।
आबादी वाले इलाकों के पास भूकंप
अक्टूबर से अब तक ग्रिंडाविक गांव के पास हजारों झटके आ चुके हैं। शुक्रवार को सबसे बड़े भूकंप आए, जो राजधानी में 40 किमी दूर तक महसूस किए गए, जिससे बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा।
आकस्मिक योजनाएँ
अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि विस्फोट से पहले भूकंप आ सकते हैं। ग्रिंडाविक और प्रमुख ब्लू लैगून पर्यटन स्थल बंद कर दिए गए हैं। यदि दरारें खुलती हैं तो निकासी योजनाएँ तैयार हैं।
खतरे की निगरानी
वैज्ञानिकों ने लगभग 5 किमी नीचे भूमिगत मैग्मा जमा होने का पता लगाया है। उन्होंने कहा कि अगर लावा सतह तक पहुंचता है तो संभवतः दक्षिण-पूर्व/पश्चिम की ओर बहेगा, ग्रिंडाविक की ओर नहीं।
ज्वालामुखीय गतिविधि का हालिया इतिहास
रेक्जेन्स प्रायद्वीप में सदियों तक निष्क्रिय रहने के बाद 2021, 2022 और 2023 में विस्फोट हुए। विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ी हुई गतिविधि दशकों या उससे अधिक समय तक बनी रह सकती है।
व्यापक प्रभाव संभव
टेक्टोनिक प्लेटों के बीच की सीमा के ऊपर स्थित होने के कारण आइसलैंड में 33 सक्रिय ज्वालामुखी हैं। 2010 में हुए विस्फोट से यूरोपीय हवाई यात्रा बंद हो गई थी, जिससे 10 मिलियन यात्री फंस गए थे।
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