मेघालय में वांगला महोत्सव (Wangala Festival) मनाया गया
वांगला महोत्सव का 46वां संस्करण इस साल 10 नवंबर को शुरू हुआ।
वांगला महोत्सव क्या है?
वांगला महोत्सव मेघालय में गारो समुदाय (Garo community) का एक लोकप्रिय त्योहार है। इसे 100 ड्रम फेस्टिवल (100 drums festival) के रूप में भी जाना जाता है। यह एक फसल उत्सव है जो गारो जनजाति के मुख्य देवता, सालजोंग (Saljong) – उर्वरता के सूर्य देवता का सम्मान करता है। इस त्योहार का उत्सव सर्दियों के मौसम की शुरुआत और परिश्रम की अवधि के अंत का प्रतीक है, जो लाभदायक परिणाम लाता है।
वर्तमान में, इस त्योहार को मेघालय में गारो जनजाति की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के साधन के रूप में देखा जाता है। यह गारो को अपनी संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है। 2022 समारोह के दौरान गुजरात, बेंगलुरु, केरल, असम, सिक्किम और अन्य स्थानों के पर्यटकों ने इस उत्सव को देखा।
यह त्योहार कैसे मनाया जाता है?
यह उत्सव आमतौर पर दो दिनों तक चलता है और कभी-कभी एक सप्ताह से अधिक समय तक चलता है। रुगाला (चावल बियर उड़ेलना) और चाछट सोआ (अगरबत्ती जलाना) उत्सव के पहले दिन की जाने वाली रस्में हैं। वे नोकमा (सरदार) के घर के अंदर कमल नामक एक पुजारी द्वारा की जाती हैं।
त्योहार का दूसरा दिन, जिसे कक्कत (Kakkat) के नाम से जाना जाता है, जब लोग रंगीन पोशाक पहनते हैं और लंबे अंडाकार आकार के ड्रमों पर पारंपरिक संगीत बजाते हैं। इस त्योहार के दौरान पारंपरिक नृत्य रूपों का भी प्रदर्शन किया जाता है।
दामा गोगता – ढोल, बांसुरी और विभिन्न पीतल के वाद्ययंत्रों के साथ नृत्य – उत्सव के अंतिम दिन किया जाता है। इस उत्सव के दौरान कट्टा डोका (गायन शैली में बात करना), अजिया, दानी डोका (गायन द्वारा वांगला का वर्णन करना), चंबिल मेसा (पोमेलो नृत्य) शामिल होते हैं।
गारो कौन हैं?
गारो तिब्बती-बर्मन जातीय जनजाति हैं जो मुख्य रूप से भारतीय राज्यों मेघालय, असम, त्रिपुरा और नागालैंड के साथ-साथ बांग्लादेश के आस-पास के क्षेत्रों में रहते हैं। जनजाति के पूर्वजों के धर्म को सोंगसरेक (Songsarek) के नाम से जाना जाता है। इनकी भाषा तिब्बती-बर्मन भाषा परिवार की है।
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