मेदाराम जातरा उत्सव : मुख्य बिंदु

तेलंगाना के मेदाराम में मनाया जाने वाला सम्मक्का- सरलम्मा महा जातरा एक द्विवार्षिक आदिवासी त्योहार है। कुंभ मेले के बाद यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला है, जो कोया जनजाति द्वारा चार दिनों तक मनाया जाता है। इस वर्ष यह जनजातीय कल्याण विभाग, तेलंगाना सरकार के सहयोग से 21-24 फरवरी, 2024 तक मनाया गया। केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने हाल ही में महोत्सव का दौरा किया।

मंत्रालय ने 2.30 करोड़ की मंजूरी दी

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अपनी आदिवासी संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने के लिए मेदाराम जतारा 2024 के लिए 2.30 करोड़ मंज़ूर किये। गतिविधियों में मेदाराम आदिवासी संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देना शामिल है, जिसमें मेदाराम जातरा पर एक वृत्तचित्र, आदिवासी कला, शिल्प और व्यंजनों की प्रदर्शनी-सह-बिक्री, राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य उत्सव, आदिवासी होमस्टे को मजबूत करना, आदिवासी युवाओं और छात्रों के लिए प्रतियोगिताएं शामिल हैं। 

मेदाराम कहाँ है?
मेदाराम इटुरनगरम वन्यजीव अभयारण्य में एक दूरस्थ स्थान है, जो दक्कन में सबसे बड़े जीवित वन बेल्ट दंडकारण्य का एक हिस्सा है।

यह महोत्सव किसके सम्मान में आयोजित किया जाता है?

मेदाराम जातरा उत्सव कोया रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार, देवी सम्मक्का और सरलम्मा के सम्मान में आयोजित किया जाता है। यह उस समय मनाया जाता है जब माना जाता है कि आदिवासियों की देवी-देवता उनसे मिलने आते हैं।

त्यौहार कब मनाया जाता है?

मेदाराम जातरा उत्सव दो साल में एक बार फरवरी या माघ माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। वर्तमान में यह द्विवार्षिक रूप से मनाया जाता है।

त्योहार के दौरान विभिन्न गांवों से कई अनुसूचित जनजातियां इकट्ठा होती हैं और देवी-देवताओं की पूजा करने के लिए मुलुगु जिले का दौरा करती हैं। लोग देवताओं को गुड़, जिसे स्थानीय भाषा में बंगाराम कहा जाता है, चढ़ाते हैं। इसकी शुरुआत मेदाराम में गदेलु में देवी-देवताओं के आगमन से होती है और जंगल में उनके प्रवेश के साथ समाप्त होती है।

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