अरुणाचल प्रदेश में मोनपा हस्तनिर्मित पेपर यूनिट की स्थापना की गयी

हाल ही में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने अरुणाचल प्रदेश में मोनपा हस्तनिर्मित कागज बनाने की इकाई की स्थापना की। मोनपा हस्तनिर्मित कागज एक हजार साल पुरानी विरासत है और इसे नई इकाई के साथ पुनर्जीवित किया गया था।

मुख्य ब्निदु

इस इकाई की स्थापना मोनपा तकनीक के आधार पर उत्पादित कागज की व्यावसायिक उत्पादकता को बढ़ाने के लिए की गई है। इसके अलावा यह इकाई अरुणाचल प्रदेश में स्थानीय रोजगार का सृजन भी करेगी।

मोनपा हस्तनिर्मित कागज

मोनपा हस्तनिर्मित कागज की कला की उत्पत्ति चीन में लगभग हजार साल पहले हुई थी। इस तकनीक का उपयोग करके बनाए गए महीन बनावट वाले हस्तनिर्मित कागज़ को मोन शुगू कहा जाता है। यह स्थानीय जनजातियों की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। इस कागज का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है।

मोनपा हस्तनिर्मित कागज एक स्थानीय पेड़ से बनाया जाता है जिसे शुगु शेंग कहा जाता है। इस वृक्ष का औषधीय महत्व भी है। इसलिए, कागज बनाने में कच्चे माल की उपलब्धता कोई समस्या नहीं है।

मोनपा हस्तनिर्मित कागज को अन्य देशों जैसे जापान, तिब्बत, भूटान और थाईलैंड को भी बेचा जाता था।

पृष्ठभूमि

इससे पहले 1994 में मोनपा हस्तनिर्मित कागज उद्योग को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया था। हालांकि, पेड़ की छाल लाने के कार्य में भौगोलिक चुनौतियों के कारण प्रयास विफल रहा था। हालांकि, इस बार केवीआईसी ने कुमारप्पा राष्ट्रीय हस्तनिर्मित कागज संस्थान, जयपुर के वैज्ञानिकों की एक टीम को चुनौतियों का सामना करने के लिए तैनात किया था। इस टीम ने वाणिज्यिक उत्पादन के लिए इकाई स्थापित करने के लिए छह महीने तक प्रयास किये।

कागज बनाने के अलावा, अरुणाचल प्रदेश के तवांग को स्थानीय शिल्प जैसे हस्तनिर्मित फर्नीचर, हस्तनिर्मित मिट्टी के बर्तनों के लिए भी जाना जाता है। वे भी विलुप्त होते जा रहे हैं। हालांकि, केवीआईसी अरुणाचल प्रदेश के इन दो हस्तनिर्मित शिल्पों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

योजना क्या है?

शुरू में पेपर यूनिट प्रति दिन पांच सौ से छह सौ हस्तनिर्मित कागज बनाने के लिए नौ कारीगरों को शामिल करेगी। ये कारीगर प्रतिदिन 400 रुपये कमाएंगे।

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