यूनेस्को ने दुर्गा पूजा (Durga Puja) को अमूर्त विरासत सूची (Intangible Heritage List) में शामिल किया

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतरसरकारी समिति (Intergovernmental Committee for Safeguarding of the Intangible Cultural Heritage) ने अपने 16वें सत्र में, मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची (Representative List of Intangible Cultural Heritage of Humanity) में ‘कोलकाता में दुर्गा पूजा’ को शामिल करने का निर्णय लिया।

मुख्य बिंदु 

  • यूनेस्को का 16वां सत्र 13 दिसंबर, 2021 से शुरू हुआ। इसका समापन 18 दिसंबर, 2021 को होगा।
  • दुर्गा पूजा धर्म और संस्कृति का एक उत्कृष्ट मेल है। यह त्योहार मुख्य रूप से बंगाली समुदाय द्वारा मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा (Durga Puja)

दुर्गा पूजा एक वार्षिक हिंदू त्योहार है। इसे दुर्गोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार हिंदू देवी दुर्गा का सम्मान करता है। यह महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से लोकप्रिय है और पारंपरिक रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, झारखंड, त्रिपुरा, असम, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, उत्तराखंड और साथ ही बांग्लादेश में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा दस दिनों तक चलने वाला त्योहार है।

यह त्यौहार कब मनाया जाता है?

दुर्गा पूजा अश्विन के भारतीय कैलेंडर माह में मनाई जाती है। यह ग्रेगोरियन कैलेंडर में सितंबर-अक्टूबर से मेल खाती है।

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage)

यूनेस्को के अनुसार, सांस्कृतिक विरासत वस्तुओं और स्मारकों के संग्रह पर समाप्त नहीं होती है। इसमें परंपराएं या जीवित अभिव्यक्तियां भी शामिल हैं जो पूर्वजों से विरासत में मिली हैं और वंशजों को दी गई हैं। अमूर्त विरासत में लोककथाओं, रीति-रिवाजों, परंपराओं, विश्वासों, ज्ञान और भाषा जैसी गैर-भौतिक बौद्धिक संपदा शामिल है। अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए कन्वेंशन को 2003 में इसकी रक्षा और बढ़ावा देने के लिए पेश किया गया था।

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