राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 : मुख्य विशेषताएं
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) के निष्कर्ष 24 नवंबर, 2021 को जारी किए गए।
मुख्य बिंदु
- इस रिपोर्ट में पाया गया है कि, उत्तर प्रदेश में 30 से 49 वर्ष की आयु की केवल 1.5% महिलाओं ने जीवन में सर्वाइकल कैंसर के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट कराया है।
- राज्य में कई स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार हुआ है।
- महिलाओं के साथ कम घरेलू हिंसा की सूचना मिली।
- लिंगानुपात में भी सुधार हुआ है।
- परिवार नियोजन के तरीकों और संस्थागत प्रसव के उपयोग में वृद्धि हुई है।
- बच्चों में डायरिया का संक्रमण कम हुआ है।
उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर निष्कर्ष
- NFHS-5 के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 1.1% महिलाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में 1.7% महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई। इस प्रकार, ग्रामीण महिलाओं ने सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूकता और जांच के मामले में बेहतर प्रदर्शन किया।
- सर्वेक्षण किए गए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं (30-49 वर्ष की आयु) की कैंसर के लिए स्तन जांच केवल 0.4% थी।
घरेलु हिंसा
- महिलाओं के साथ कम घरेलू हिंसा की सूचना मिली।
- कुल मिलाकर, 18-49 वर्ष की आयु की 34.8% विवाहित महिलाओं ने वैवाहिक हिंसा का अनुभव किया था।
- शहरी क्षेत्रों में यह अनुपात 32.7% था जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 35.5% था।
लिंग अनुपात
NFHS-5 ने पाया कि राज्य में लिंगानुपात में सुधार हुआ है। NFHS-5 में कुल जनसंख्या का लिंगानुपात 1017 हो गया है जबकि NFHS-4 में यह 995 है।
निष्कर्ष
- भारत NFHS-5 में कुल प्रजनन दर (total fertility rate – TFR) 2.0 तक पहुंच गया है, जबकि NFHS-4 में यह 2.2 था।
- NFHS-5 में गर्भ निरोधकों का प्रयोग 53.5% से बढ़कर 66.7% हो गया है।
- संस्थागत जन्म 78.9% से बढ़कर 88.6% हो गया है।
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