राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग का विस्तार किया गया

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (National Commission for Safai Karamcharis) को तीन और वर्षों के लिए बढ़ा दिया है। इस आयोग का वर्तमान कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्त हो रहा है। इसके बाद आयोग को तीन साल के लिए बढ़ा दिया गया है। यह विस्तार 43.68 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। सफाई कर्मचारी हाथ से मैला ढोने वाले (manual scavengers) लोग हैं। वे नालियों और सीवर को हाथों से साफ करते हैं, बिना किसी सुरक्षा या उपकरण के।

पृष्ठभूमि

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग एक सलाहकार निकाय के रूप में बनाया गया था। इसने भारत सरकार को सफाई कर्मचारियों के कल्याण के लिए सिफारिशें प्रदान कीं। साथ ही, इस आयोग ने सफाई कर्मचारियों के लिए विशेष कार्यक्रमों के क्रियान्वयन का मूल्यांकन किया।

हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013

यह आयोग इस अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी करता है। यह जाँच करता है कि क्या केंद्र और राज्य सरकारें अधिनियम के दायरे में आने वाली शिकायतों के प्रति उचित कार्रवाई करती हैं। 

 एक गैर-सांविधिक निकाय 

इस आयोग की स्थापना 1993 में हुई थी। इसे राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी अधिनियम, 1993 के तहत स्थापित किया गया था। इसकी वैधता 1997 तक थी। बाद में इसे 2002 तक और फिर 2004 तक बढ़ा दिया गया। बाद में इसे एक गैर-सांविधिक निकाय बना दिया गया।  मतलब, यह कानूनों या अधिनियमों द्वारा शासित नहीं है। आज तक राष्ट्रीय कर्मचारी आयोग एक गैर-सांविधिक निकाय के रूप में कार्य करता है।

विस्तार की आवश्यकता

सख्त और व्यापक उपायों के बावजूद, भारत में अभी भी हाथ से मैला ढोने की प्रथा प्रचलित है। आंतरिक ग्रामीण क्षेत्रों में छिटपुट उदाहरण मौजूद हैं। वे शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक लाभों से वंचित हैं। इन्हीं कारणों से भारत सरकार राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग का कार्यकाल बढ़ा रही है। इससे सरकार का लक्ष्य सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई का पूरा मशीनीकरण हासिल करना है।

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