संयुक्त राष्ट्र ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर पहला वैश्विक प्रस्ताव अपनाया
24 मार्च, 2024 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर पहला वैश्विक प्रस्ताव पारित किया। संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रायोजित और रूस, चीन और क्यूबा सहित 123 देशों द्वारा सह-प्रायोजित इस प्रस्ताव का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शक्तिशाली नई तकनीक सभी देशों को लाभान्वित करे, मानवाधिकारों का सम्मान करे और सुरक्षित और भरोसेमंद हो।
पृष्ठभूमि
एआई तकनीक के तेजी से विकास ने इसके संभावित जोखिमों और लाभों के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं, जिसमें मानवाधिकारों, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर इसका प्रभाव शामिल है। यह प्रस्ताव एआई के विकास को आकार देने और इसके संभावित नुकसान को कम करने के लिए दुनिया भर की सरकारों द्वारा की गई पहलों की श्रृंखला में नवीनतम है।
प्रमुख उद्देश्य
प्रस्ताव में कई प्रमुख उद्देश्यों को संबोधित करने का प्रयास किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
- विकसित और विकासशील देशों के बीच डिजिटल विभाजन को समाप्त करना
- यह सुनिश्चित करना कि विकासशील देशों के पास एआई से लाभ उठाने के लिए प्रौद्योगिकी और क्षमताएं हों
- मानव अधिकारों की रक्षा और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा
- जोखिमों और संभावित नुकसानों के लिए AI की निगरानी करना
- गोपनीयता नीतियों को मजबूत बनाना
- वैश्विक सहयोग
पिछले कुछ महीनों में अमेरिका ने रूस, चीन और क्यूबा सहित संयुक्त राष्ट्र में 120 से अधिक देशों के साथ मिलकर प्रस्ताव के पाठ पर बातचीत की। प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाना एआई को नियंत्रित करने और इसके जिम्मेदार विकास और उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
विकासशील देशों पर प्रभाव
प्रस्ताव में विकसित और विकासशील देशों के बीच डिजिटल विभाजन को समाप्त करने के महत्व पर जोर दिया गया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी देशों को एआई पर चर्चा में भाग लेने का मौका मिले। इसका उद्देश्य विकासशील देशों को एआई के लाभों का लाभ उठाने के लिए प्रौद्योगिकी और क्षमताएँ प्रदान करना भी है, जैसे कि बीमारियों का पता लगाना, बाढ़ की भविष्यवाणी करना, किसानों की मदद करना और अगली पीढ़ी के श्रमिकों को प्रशिक्षित करना।
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