सरकार कार्बन उत्सर्जन को कम करने और ऊर्जा की बचत करने के लिए सभी सामान्य बल्बों को LED बल्बों से रीप्लेस करेगी : पर्यावरण मंत्री
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि सरकार अब से कुछ सालों में 40 से 60 वाट के सभी सामान्य बल्बों को एलईडी बल्बों के साथ रीप्लेस करेगी। उन्होंने कहा, नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले छह वर्षों में, दो बिलियन सामान्य बल्बों को एलईडी बल्बों से बदल दिया गया है। पिछले कुछ समय से भारत सरकार इस दिशा में तेज़ी से काम कर रही है।
मुख्य बिंदु
श्री जावड़ेकर ने कहा कि इस पहल से न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी बल्कि इससे ऊर्जा की बचत होगी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा में अग्रणी देशों में से एक है और वर्तमान में देश की अक्षय ऊर्जा क्षमता 136 गीगावाट है। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि भारत ने पहले ही अपनी उत्सर्जन तीव्रता में लगभग 26 प्रतिशत की कमी कर दी है और 2031 तक इसे 35 प्रतिशत कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिए भारत जिम्मेदार नहीं है क्योंकि ऐतिहासिक कार्बन उत्सर्जन में इसका योगदान केवल तीन प्रतिशत है जबकि अमेरिका 30%, यूरोप 30% और चीन 20% के लिए जिम्मेदार है।
ग्राम उजाला योजना
हाल ही में भारत सरकार ने ग्राम उजाला योजना लांच की। ग्राम उजाला योजना 10 रुपए में ग्रामीण क्षेत्रों में दुनिया का सबसे सस्ता एलईडी बल्ब प्रदान करती है। इस योजना को कार्बन क्रेडिट के आधार पर वित्तपोषित किया जाता है। यह “संयुक्त राष्ट्र के स्वच्छ विकास तंत्र (United Nations’ Clean Development Mechanism)” के तहत कार्बन क्रेडिट का दावा करेगी। कार्बन क्रेडिट 60 रुपये प्रति पीस में योगदान करेगा जबकि 10 रुपये ग्रामीण उपभोक्ता द्वारा भुगतान किया जाएगा। इस योजना के तहत, ग्रामीण ग्राहकों से तापदीप्त और कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैंप (CFL) बल्ब वापस ले लिए जाएंगे।
योजना का महत्व
इस योजना से ग्रामीण रोजगार के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा मिलेगा। यह भारत के गांवों का भी उत्थान करेगा और जलवायु परिवर्तन शमन में योगदान देगा। एलईडी बल्ब के उपयोग से ऊर्जा बचाने में मदद मिलेगी क्योंकि 12-वाट का एलईडी बल्ब 100-वाट के तापदीप्त बल्ब के बराबर प्रकाश प्रदान करता है। इसके परिणामस्वरूप प्रति वर्ष 2025 मिलियन kWH की बचत होगी और CO2 उत्सर्जन में 1.65 मिलियन टन प्रति वर्ष CO2 की कमी होगी। यह योजना सस्ती कीमत पर बेहतर रोशनी प्रदान करेगी।
प्रथम चरण
इस योजना का पहला चरण बिहार के आरा जिले से शुरू किया गया था। यह किसी भी सरकारी सहायता या सब्सिडी के साथ नहीं आता है। इस चरण के तहत, आरा (बिहार), विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश), वाराणसी (उत्तर प्रदेश), नागपुर (महाराष्ट्र) और पश्चिमी गुजरात के गांवों में 15 मिलियन एलईडी बल्ब वितरित किए जाएंगे। चरण 1 के तहत, लगभग एक करोड़ 50 लाख एलईडी बल्ब वितरित किए जाएंगे।
इस योजना के तहत एलईडी बल्बों को सरकार द्वारा संचालित कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (CESL) द्वारा दिया जाएगा, जो एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड की सहायक कंपनी है। ग्रामीण इलाकों में लगभग 600 मिलियन एलईडी बल्ब 10 रुपये प्रति पीस में दिए जाएंगे।
पृष्ठभूमि
मूल्य के हिसाब से भारत दुनिया भर में दूसरा सबसे बड़ा एलईडी बाजार है। सरकार की पिछली उजाला योजना (Unnat Jyoti by Affordable Lighting for All Scheme – UJALA Scheme) 70 रुपये प्रति पीस पर एलईडी बल्ब प्रदान कर रही थी।
Categories: पर्यावरण एवं पारिस्थिकी करेंट अफेयर्स
Tags:LED Bulbs , UJALA Scheme , United Nations’ Clean Development Mechanism , Unnat Jyoti by Affordable Lighting for All Scheme , ग्राम उजाला , ग्राम उजाला योजना