सर्वोच्च न्यायालय ने INS विराट के विघटन पर रोक लगाईं

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आईएनएस विराट के विघटन पर रोक लगाई है। एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विराट, जिसने 30 साल से अधिक समय तक भारतीय नौसेना की सेवा की, को गुजरात के अलंग में विघटित किये जाने की योजना बनाई गयी थी। जहाज को तीन साल पहले डीकमीशन किया गया था।

दरअसल एक फर्म ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, इस फर्म ने आईएनएस विराट को एक समुद्री म्यूजियम में परिवर्तित करने के लिए आज्ञा मांगी है। इसके लिए फर्म ने 100 करोड़ रुपये अदा करने का प्रस्ताव रखा है। अब सर्वोच्च न्यायालय ने केद्र सरकार से उसकी राय मांगी है। इस

मुख्य बिंदु

आईएनएस विराट भारतीय नौसेना का सबसे लंबा सेवारत जहाज है। इसे 1987 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। इसे हाल ही में मेटल स्क्रैप कंपनी ने 38.54 करोड़ रुपये में खरीदा था। इस जहाज को मुंबई के नवल डॉकयार्ड से अलंग के शिप ब्रेकिंग यार्ड तक लाया जायेगा। जहाज को पूरी तरह से विघटित करने में नौ से बारह महीने लगेंगे।

आईएनएस विराट

इस जहाज ने 1959 और 1984 के बीच HMS हर्मीस के रूप में ब्रिटिश नौसेना की सेवा की। नवीनीकरण के बाद इसे भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया। INS विराट एक सेंटोर-क्लास एयरक्राफ्ट कैरियर था। इसके अलावा, आईएनएस विक्रमादित्य को 2013 में कमीशन किए जाने से पहले यह भारतीय नौसेना का प्रमुख जहाज़ था। अब आईएनएस विक्रमादित्य भारतीय नौसेना का प्रमुख जहाज़ है।

भारत में एयरक्राफ्ट कैरियर

वर्तमान में, भारतीय नौसेना एक एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रमादित्य का संचालन करती है। इसे रूस से खरीदा गया था। आईएनएस विक्रांत एक स्वदेशी विमानवाहक पोत है जो कोचीन शिपयार्ड में बनाया जा रहा है। INS विशाल प्रस्तावित दूसरा स्वदेशी विमानवाहक पोत है।

भारत सरकार ने हाल ही में एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ की तर्ज पर एक विमान वाहक का निर्माण करने के लिए यू.के. से संपर्क किया है।

आईएनएस विशाल

इसे आईएनएस विक्रांत के बाद बनाया जायेगा। 2015 में, रक्षा अधिग्रहण परिषद ने INS विशाल के प्रारंभिक निर्माण के लिए 30 करोड़ रुपये आवंटित किए।

INS विक्रमादित्य

इसने 1987 में सेवा में प्रवेश किया। इस एयरक्राफ्ट कैरिएर ने सोवियत नौसेना के साथ और बाद में 1996 तक रूसी नौसेना के साथ सेवा दी। यह मूल रूप से बाकू के रूप में बनाया गया था।

 

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