सार्वजनिक उद्यम विभाग को वित्त मंत्रालय के अधीन लाया गया
केंद्र सरकार ने सार्वजनिक उद्यम विभाग (Department of Public Enterprises) को वित्त मंत्रालय के तहत लाने का फैसला किया है।
मुख्य बिंदु
- सार्वजनिक उद्यम विभाग पहले भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय के अधीन था।
- भविष्य कीविनिवेश योजनाओं के संबंध में समन्वय को आसान बनाने के लिए इसे वित्त मंत्री के अधीन लाया गया है ।
- सार्वजनिक उद्यम विभाग को शामिल करने के बाद अब वित्त मंत्रालय में 6 विभाग शामिल हैं।
- अन्य पांच विभाग हैं:
- आर्थिक मामलों के विभाग
- व्यय विभाग
- राजस्व विभाग
- निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग
- वित्तीय सेवा विभाग।
पृष्ठभूमि
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण 2021-2022 में इस बदलाव की घोषणा की थी।
सार्वजनिक उद्यम विभाग को वित्त मंत्रालय के अधीन क्यों लाया गया?
इस कदम का उद्देश्य विनिवेश (disinvestment) प्रक्रिया को आसान बनाना है। वित्त मंत्रालय के पास पहले से ही केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (Central Public Sector Enterprises – CPSE) से संबंधित एक विभाग है। इसलिए, सार्वजनिक उद्यम विभाग को शामिल करने से विनिवेश जैसे मुद्दों पर बेहतर समन्वय होगा। अन्य चिन्हित क्षेत्रों में CPSEs को प्रभावित करने वाले सामान्य नीतिगत मामलों पर समन्वय, उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन और पूंजीगत परियोजनाओं की समीक्षा शामिल है।
आवश्यकता
यह कदम समय की मांग थी क्योंकि सरकार को धन जुटाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में विनिवेश में तेजी लाने की जरूरत है।
सहकारिता मंत्रालय
सहकारिता मंत्रालय (Ministry of Cooperation) को भी कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग से अलग किया गया था। यह कृषि मंत्रालय के अधीन अस्तित्व में था।
सार्वजनिक उद्यम विभाग (Department of Public Enterprises)
1965 में, वित्त मंत्रालय के तहत तीसरी लोकसभा (1962-67) की अनुमान समिति की 52वीं रिपोर्ट की सिफारिश के बाद, सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो (BPE) का गठन किया गया था 1985 में, BPE को उद्योग मंत्रालय का हिस्सा बनाया गया था। 1990 में, BPE को एक पूर्ण विभाग बना दिया गया जिसे सार्वजनिक उद्यम विभाग (DPE) कहा जाता है। DPE सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों CPSEs के लिए नोडल विभाग है और CPSEs से संबंधित नीति तैयार करता है।
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