हिन्दू दर्शन
हिंदू दर्शन का इतिहास बहुत प्राचीन है। पारंपरिक हिंदू सोच और आधुनिक पश्चिमी दर्शन के बीच निस्संदेह समानताएं हैं। हिंदू दर्शन और धर्मशास्त्र की उत्पत्ति वेदों से मानी जाती है। हिन्दू धर्म के मौलिक दर्शन न्याय, पूर्व मीमांसा, उत्तर मीमांसा, सांख्य, अद्वैत, योग आदि हैं। हिंदू दर्शन को छह विचारधाराओं में वर्गीकृत किया गया है, जिन्हें दर्शन के रूप में जाना जाता है।
न्याय :- न्याय दर्शन का प्रतिपादन गौतम ऋषि ने किया| यह सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध दर्शन ग्रंथ है|
पूर्व मीमांसा दर्शन:- पूर्व मीमांसा को धर्म मीमांसा भी कहा जाता है| पाणिनि के अनुसार मीमांसा शब्द का शाब्दिक अर्थ जिज्ञासा है| पूर्व मीमांसा का प्रतिपादन जैमिनी ने किया| इसे मीमांसा सूत्र भी कहा जाता है|
उत्तर मीमांसा दर्शन:- उत्तर मीमांसा दर्शन को ब्रह्ममीमांसा या ब्रह्मसूत्र भी कहा जाता है| इसका प्रतिपादन बादरायण ने किया| इसमें वेद, जगत और ब्रह्म सम्बन्धी दार्शनिक विचारों पर जोर दिया गया है|
वैशेषिक दर्शन:- वैशेषिक दर्शन का प्रतिपादन कणाद ऋषि ने किया| यह स्वतंत्र भौतिकवादी दर्शन है| इसमें न्याय दर्शन से काफी समानताएं हैं| प्रत्येक पदार्थ छोटे छोटे कणों से बना होता है,इसका विचार भी ऋषि कणाद ने दिया था|
सांख्य दर्शन:- सांख्य दर्शन का प्रतिपादन कपिल मुनि ने किया| इसमें अद्वैत वेदांत से विपरीत विचार हैं| सांख्य का शाब्दिक अर्थ है:- संख्या सम्बन्धी| इसमें प्रमुख विचार यह है कि सृष्टि प्रकृति और पुरुष से मिलकर बनी है|
योग दर्शन:- योग दर्शन एक प्रसिद्ध दर्शन है| इसका प्रतिपादन महर्षि पतंजलि ने किया| पतंजलि पुष्यमित्र शुंग के पुरोहित थे| योग का शाब्दिक अर्थ जोड़ या मिलन है| यह दर्शन आत्मा और परमात्मा के मिलन पर आधारित है| इसमें भी सांख्य दर्शन की तरह ज्ञान के तीन पदार्थ बताये गए हैं:-प्रत्यक्ष, अनुमान और शब्द| योग के कुल आठ अंग हैं:- यम, नियम , आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि| इसमें पांच यम अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह|